महाराष्ट्र का सियासी संग्राम अब और भी दिलचस्प हो गया. सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ने सरकार बनाने से हांथ खड़े करने के बाद अब शिवसेना-एनसीपी सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के ओके का इंतजार कर रही है. चुनाव परिणाम आए हुए 15 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं लेकिन अभी महाराष्ट को नई सरकार नहीं मिल सकी है. साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में जीत मिलते ही खींचतान शुरू हो गयी. मुख्यमंत्री पद को लेकर 50-50 के फार्मूले पर शिवसेना ऐसा अड़ी कि बीजेपी के साथ उसकी तीन दशक पुरानी दोस्ती भी टूट गयी. शिवसेना को समझाने में विफल होने के बाद बीजेपी ने सरकार बनाने का अपना दावा छोड़ दिया. जिसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार बनाने का आमंत्रण भेजा.
शिवसेना-एनसीपी ने मिलकर सरकार बनाने की कसरत शुरू कर दी है. लेकिन दोनों पार्टियों की यह कवायद हांथ की हां-ना पर आकर अटक गयी है. 2019 के चुनाव में भाजपा ने जहां 105 सीटों पर कब्जा किया है. वहीं शिवसेना के पास 56, एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं. कुल 288 सदस्यों वाली महाराष्ट विधानसभा में सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत 145 है. ऐसी स्थिति में चाहकर भी शिवसेना और एनसीपी बिना कांग्रेस के स्थाई सरकार नहीं बना सकते.
शिवसेना को समर्थन देने के लिए कांग्रेस भी दुविधा में है. ताबड़तोड़ दो दौर की बैठकों के बाद भी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई हैं. हालांकि कांग्रेस के कई नेता और विधायक शिवसेना-एनसीपी को समर्थन देने के पक्ष में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस नई सरकार को बाहर से समर्थन देने पर गंभीरता से विचार कर है. हालांकि कांग्रेस नेतृत्व महाराष्ट के स्पीकर का पद अपने पास रखना चाहती है.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और सोनिया गांधी के बीच फोन पर लंबी बातचीत भी हुई है. इससे पहले सोमवार शाम को आदित्य ठाकरे पार्टी ने कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ राज्यपाल से मुलाकात भी की. शिवसेना को समर्थन देने से पहले कांग्रेस कुछ मुद्दों पर उससे आश्वासन चाहती है. जिनमें एक प्रमुख मुद्दा शिवसेना की बीजेपी से दोस्ती और शिवसेना की कट्टर हिन्दुत्ववादी छवि को लेकर है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार गठन की तस्वीर मंगलवार को ही साफ होगी. जब सोनिया गांधी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की मुलाकात हो जाएगा. इस बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर भी बदलाव के आसार नजर आ रहे हैं. अभी तक आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का दावेदार पेश किया जा रहा था. लेकिन बदले हालात में शिवसेना के कई नेता चाहते हैं कि मुख्यमंत्री का पद कोई वरिष्ठ नेता संभाले.