रांची: पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में हुई बाघिन की मौत का मामला तुल पकड़ने लगा है. विधायक सरयू राय ने इस मामले को सदन में ध्यानाकर्षण में लाया है. उन्होंने इस मामले की जांच स्वतंत्र एवं उच्च स्तरीय विशेषज्ञ दल से कराने की मांग सरकार से की है.
उन्होंंने कहा है कि पिछले 16 फरवरी को पलामू टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की मौत हो गयी थी. जिसके शव को अधिकारियों ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के निर्देशों का पालन किए बगैर जला दिया. इसको लेकर वन अधिकारियों की अपनी दलील है कि बाघिन बुढ़ी हो चुकी थी और उसके नाखुन झड़ गये थे, वो भूखी थी. उसे वाइसन नामक जंगली जानवरों की झूंड ने मार दिया.
अधिकारियों की दलील को विधायक सरयू राय ने मनगढ़त बताया है. उन्होंने कहा है कि एनटीसीए गाइडलाइन के अनुसार, बाघिन की मौत की जांच प्रथमद्रष्टया शिकार मानकर की जानी चाहिए थी, जो नहीं हुआ.
राय ने बाघिन की मौत की जिम्मेवार पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन को माना है. उन्होंने कहा कि गश्ती एवं पर्यवेक्षण की कमी से बाघिन की मौत हुई है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि इसकी उच्चस्तरीय जांच करायी जाये ताकि सही मायने में जिम्मेदारी सुनिश्चित हो सके. साथ ही बाघिन की मौत के लिए दोषियों पर कार्रवाई हो.
विधायक सरयू राय ने यह भी कहा कि पीटीआर की स्थिति देश में सर्वप्रथम घोषित टाइगर रिजर्वों में सबसे उपयुक्त माना गया है. फिर भी यहां बाघों के पर्यावास पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है. उनका जीवन सुरक्षित नहीं है.
सम्राट की मौत पर भी उठ रहे हैं सवाल:
ओरमांझी के बिरसा जैविक उद्यान में पिछले दिनों हुई सम्राट की मौत पर भी सवाल उठ रहे है. उद्यान में काम कर रहे कर्मियों और हाथी की देखभाल कर रहे महावत भी सम्राट की मौत से हैरान हैं. जबकि सम्राट काफी स्वस्थ था.
हालांकि, सम्राट की मौत के क्या कारण हो सकते हैं इसकी जांच जारी है. बताते चलें कि हाथी की दांत भी काफी कीमती होती है.