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पिता की मौत और खुद कोरोना पॉजिटिव से पीड़ित के बावजूद नहीं डिगा कर्तव्य से….
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खुद का चल रहा इलाज, देशवासियों से इसे हल्के में न लेने की कर रहे अपील
रांची: एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से त्रस्त है. कई बड़े विकसित देश भी इस महामारी से, उनकी आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों में भी फेल साबित हो रहे है.
इस कठिन संकट में झारखंड के जमशेदपुर के एक लाल लंदन के बार्सेलोना में कोरोना जैसी महामारी के रोगियों का इलाज करते करते खुद कोरोना पॉजिटिव के शिकार हो गए.
फिलहाल, उन्हें इलाज के लिए ड्यूटी पर नहीं लगाया गया है. इसी दौरान जमशेदपुर में इनके पिता के देहांत के बावजूद वो अपने कर्तव्य में लगे रहे.
कई मित्रों-शुभचिंतकों ने उन्हें स्वदेश वापसी की सलाह भी दी. लेकिन कई वर्ष भारतीय सेना में अपना योगदान दे चुके जमशेदपुर के लाल का कहना है कि युद्ध के समय जो सिपाही पीठ दिखाकर भाग जाए वो कायर होते हैं.
इस परिस्थिति में अगर देश छोड़ जाता हूं, तो अभी जिस पेशे में हूं इसमें कर्तव्यों के पालन में कायर नहीं कहलाना चाहता. पिता की मौत पर भारत आने के बाबत कहते हैं कि अगर भारत आ भी जाता हूं तो भारत में चल रहे लॉकडाउन का पालन भी करना पड़ेगा. जिस कारण से भारत जाना है वो काम भी नहीं कर पाऊंगा.
पिछले एक दशक से भी ऊपर लंदन में रह रहे चिकित्सक का कहना है कि जिस तरह से पश्चिम देशों में कोरोना महामारी फैल रही है उससे इन देशों की महामारी के प्रति लापरवाही और तैयारियों में कमी के कारण हजारों मौतें हो रही हैं. इससे उबरने में कई साल लग जाएंगे.
भारत के विषय में उनका कहना है कि भारत में पश्चिम देशों की तुलना में अगर एक लाख मौतें नहीं हुई तो इसका श्रेय भारत की दूरदर्शिता और सही समय पर ठोस तैयारियों को जाता है.
लंदन में रहकर भारत की राजनीतिक, रणनीतिक विषयों में नजदीक नजर रखने वाले चिकित्सक देशवासियों से लगातार कोरोना को लेकर लापरवाही के कारण गंभीर रहने की अपील कर रहे हैं.
इस परिस्थिति में इनकी चिकित्सक पत्नी का भरपूर साथ मिल रहा है. चिकित्सक दंपति पश्चिम देशों के कोरोना से नुकसान की तुलना में भारत में स्थिति कंट्रोल रहने के बावजूद सावधानी और लॉकडाउन का पालन करने को कह रहे हैं.
बता दें कि भारत के प्रति इनका इतना लगाव है कि लंदन से लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोट देने जमशेदपुर आए थे.