रांची: रांची की महिलाएं प्रोड्यूसर ग्रुप बनाकर साबुन निर्माण का काम कर रही है. हौसले से भरपूर ये महिलाएं साबुन के क्षेत्र में मल्टीनेशनल और देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों को भी पीछे छोड़ने की सोच रखती हैं. रांची जिले का ओरमांझी प्रखंड अंतर्गत कोवालू गांव इन दिनों काफी सुर्खियों में है. शहर से दूर कोवालु गांव की महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर कम कीमत में ग्लिसरीन वाले साबुन का निर्माण कर रही हैं. क्वालिटी की बात की जाए तो गांव में बना देसी साबुन बड़ी-बड़ी कंपनियों को टक्कर देने में पीछे नहीं है. साबुन निर्माण में जुड़ी महिला उत्पादक सामूह की सदस्य शांति देवी ने बताया कि अभी वे तीन तरह का साबुन बना रही है, जो हरे, लाल और नीले रंग का है. हरे रंग के साबुन में एलोवेरा, लाल रंग के साबुन में गुलाब और नीले रंग के साबुन में लेमन यानि नींबू की खुशबू होती है.
‘लोकल फॉर वोकल’ ने दिखाई नई दिशा
उत्पादक समूह से जुड़ी इन महिलाओं के जीवन में भी अब बदलाव देखने को मिल रहा है. गांव – घर में ही स्वरोजगार मिलने से महिला आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा मिल रहा है. इनका मानना है कि प्रधानमंत्री के वोकल फोर लोकल के आह्वान ने भी इनके काम को बहुत आसान बना दिया है. बचत होने से बच्चों की बेहत्तर पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने में सफल हो रही हैं, वहीं पति पर आर्थिक निर्भरता भी खत्म हो गयी है.
ओरमांझी के प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमार अभिनव स्वरूप बताते हैं कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए सरकार की ओर से कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. ओरमांझी ब्लॉक में फिलहाल 17 हजार महिलाओं को झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के अंतर्गत समूह से जोड़ा गया है, जो साबून निर्माण के अलावा विभिन्न कामों में जुटी हुई है.
महिलाओं ने मार्केटिंग का खाका भी किया तैयार
साबुन निर्माण से जुड़ी इन महिलाओं ने उत्पादन के बाद मार्केटिंग का भी पूरा खाका तैयार कर लिया है. बहुत जल्द ही स्थानीय बाजारों के साथ बड़े-बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में भी ये साबुन बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगा.