40,000 करोड़ रुपये के निवेश से नई उर्वरक इकाइयां स्थापित की जा रही हैं
नई दिल्ली: उर्वरकों के उत्पादन में भारत 2023 तक आत्मनिर्भर हो जाएगा. ‘आत्मनिर्भर भारत’ कार्यक्रम के तहत देश में 40,000 करोड़ रुपये की लागत से नई उर्वरक उत्पादन इकाइयों की स्थापना की जा रही है. इससे आयात पर निर्भरता में भी कमी आयेगी. उक्तप जानकारी केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने दी.
गौड़ा ने कहा कि हम सभी उर्वरक कंपनियों को गैस आधारित प्रौद्योगिकी में परिवर्तित कर रहे हैं. हाल ही में चार यूरिया संयंत्रों (रामागुंडम, सिंदरी, बरौनी और गोरखपुर) को पुनर्जीवित किया है. 2023 तक उर्वरकों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जायेंगे.
सरकार देश में जैविक और नैनो उर्वरकों के उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है, क्योंकि वे 25 से 30 प्रतिशत तक किफायती हैं. 18 से 35 प्रतिशत तक अधिक उपज देते हैं और मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखते हैं. उन्होंने बताया कि नैनो उर्वरकों को देश भर के 12,000 किसानों और कृषि विश्वविद्यालयों के बीच निःशुल्क वितरित किया गया है, जिसका सकारात्मक फीडबैक मिला है.
गौड़ा ने किसानों से यूरिया का विवेकपूर्ण उपयोग करने के लिए कहा, क्योंकि यूरिया का अत्यधिक उपयोग मिट्टी के स्वास्थ्य को खराब कर सकता है. उन्होंने किसानों को अपने मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार उर्वरकों का उपयोग करने की सलाह दी.