ब्यूरो चीफ,
रांची: झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) के सिंकनी कोलयरी के प्रभारी भूतत्ववेत्ता प्रवीर कुमार के खिलाफ खान एवं भूतत्व विभाग की तरफ से कार्रवाई नहीं की जा रही है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी 25 जनवरी 2015 को जेएसएमडीसी में नियुक्ति, नियमित्तिकरण, सिकनी कोलियरी में बरती गयी व्यापक अनियमितता की जांच करने का आदेश भी दिया था. इसमें शामिल भूतत्ववेत्ता समेत सभी दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था. इसका अनुपालन आज तक नहीं किया गया. यहां तक कि खान विभाग की तरफ से भेजी गयी कार्रवाई की संचिका भी गायब हो गयी है.
क्या-क्या है आरोप
जेएसएमडीसी के भूतत्ववेत्ता के खिलाख दैनिक वेतनभोगी, अनुबंध कर्मियों को नियमित वेतनमान का लाभ दिये जाने के अलावा सिकनी कोलियरी में व्यापक अनियमितता बरतने का गंभीर आरोप है. इनके खिलाफ तत्कालीन निगम अध्यक्ष विदेश सिंह के कार्यकाल में जांच भी की गयी थी. आरोप पत्र तक गठित किया गया, पर वह संचिका आगे बढ़ी ही नहीं. जेएसएमडीसी में 63 दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को नियम विरुद्ध नियमित करने का आरोप भी इनके खिलाफ प्रमाणित हुआ था.
इस मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गयी थी. सीडब्ल्यूजेसी -2053/94 में निगम की तरफ से हलफनामा दायर कर यह बात कही गयी थी कि नियमित पद सृजित ही नहीं किये गये हैं, जससे नियमित नियुक्ति हो सके. दैनिक वेतनभोगियों को नियमित मान कर दिया गया वेतन मान नियमों के खिलाफ है. इसमें भूतत्ववेत्ता की भूमिका सही नहीं रही है. निगम की तरफ से वर्ष 2010 में एक आदेश 325, दिनांक 4.3.2010 के तहत नियमित वेतनमान देने औ वेतनवृद्धि देने की घोषणा कर दी गयी.
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि बिना पद सृजन किये ही वेतनमान वृद्धि और नियमित वेतन का लाभ कैसे कर्मियों को दिया. 2015 में निगम के दैनिक वेतनभोगी अनुबंध कर्मियों की सेवा भी इसी तरह नियमित कर दी गयी. भूतत्ववेत्ता के खिलाफ सिकनी कोलयरी से कोयला का दर निर्धारण, ई-ऑक्शन, ई-चालान, एवं डीओ, परिवहन में घूसखोरी का आरोप भी प्रमाणित हुआ. इनके खिलाफ तय आरोप पत्र को आज तक विभाग में प्रस्तुत ही नहीं किया गया.
28 नवंबर 2017 का पत्र हो गया है गायब
झारखंड सरकार के खनन एवं भूतत्व विभाग के उप सचिव ने 28 नवंबर 2017 को पत्रांक 3255 के तहत मुख्यमंत्री सचिवालय के आदेश का अनुपालन करने का अनुरोध किया था. पर वह पत्र तो भेजा गया, जांच और कार्रवाई दो साल बाद भी नहीं हुई. मामला जस का तस बना हुआ है. अब भी भूतत्ववेत्ता अपने पद पर बने हुए हैं और सिंकनी कोलियरी के प्रभार में भी हैं.