जोनल कमांडर आलोक के विरुद्ध जिले में दर्ज हैं एक दर्जन से अधिक नक्सली मामले- एसपी
चतरा: झारखंड बिहार की सीमा पर बिहार के गया जिले के धनगांव थाना क्षेत्र में बीती देर रात पुलिस मुठभेड़ में मारा गया 10 लाख का इनामी माओवादी जोनल कमांडर झारखंड के चतरा जिला का रहने वाला था. वह चतरा जिला के सदर थाना अंतर्गत बरैनी- सिकिद गाँव का निवासी था. इस संदर्भ में चतरा के पुलिस अधीक्षक ऋषभ झा ने जानकारी देते हुए बताया कि माओवादी जोनल कमांडर आलोक की सक्रियता तथा उसकी पहचान पूर्व में चतरा जिले के इलाकों में विभिन्न नामों से जानी जाती थी.
बताते हैं कि वह गुलशन, संतोष यादव उर्फ रवि जी के नाम से क्षेत्र में घूमा करता था. इसके बिरुद्ध चतरा जिले के विभिन्न थानों में तकरीबन एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं. दूसरी ओर ग्रामीण सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आलोक को 2002 में अपने गाँव के ही एक ग्रामीण त्रिलोकी यादव की हत्या के केस में उसका नाम दर्ज हो जाने तथा उसके घर में ताला जड़ दिए जाने से वह काफी कुंठित व आक्रोशित था.
बताते हैं कि इसी गुस्से में वह नक्सलियों के पास चला गया. उस दरमियान उसकी उम्र महज 14 वर्ष की थी. कहते हैं कि जब वह माओवादी संगठन में शामिल हो गया और ग्रुप में शामिल होकर उसने हथियार उठा लिया. उस वक्त पूरे इलाके में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा- माओवादियों की तूती बोलती थी. उसके बाद संगठन द्वारा उसका नाम संतोष यादव से आलोक रख दिया गया.
बताया जाता है कि उसने बाद में संगठन में रहते हुए चतरा जिले के सदर थाना क्षेत्र के सिकिद व भुइयांडीह गांव में अपना घर बना लिया. बाद में एक नक्सली संगठन तृतीय प्रस्तुति कमेटी यानी टीपीसी नक्सलियों ने भी उसके घरों को ध्वस्त कर डाला. उसके बाद से वह और भी काफी आक्रमक हो गया.
दरअसल, झारखंड के चतरा जिले की सीमा से सटे क्षेत्र में झारखंड-बिहार पुलिस की संयुक्त टीम को शनिवार देर रात एक बड़ी सफलता हाथ लगी. दोनों राज्यों की पुलिस, एसटीएफ और कोबरा बटालियन द्वारा चलाये गये अभियान में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी का जोनल कमांडर आलोक गया जिले के धनगांव थाना क्षेत्र में हुई पुलिस मुठभेड़ के दरमियान मारा गया.
नक्सली जोनल कमांडर आलोक झारखंड के चतरा जिले के सदर थाना क्षेत्र के बरैनी-सिकिद गांव का रहने वाला था और उसके खिलाफ चतरा जिला के साथ-साथ बिहार के गया तथा औरंगाबाद जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र में कई आपराधिक मामले दर्ज थे. बताया गया है कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि सीमावर्ती इलाके में नक्सली सक्रिय है. बताते हैं कि धनगाय थाना क्षेत्र इलाके के एक गांव में बीती रात आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में वह अपने साथियों के साथ प्रोग्राम में शरीक होने आया था.
इस सूचना पर इलाके में सुरक्षाबलों द्वारा पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई, तो नक्सलियों की ओर से हथियार डालने के बजाय फायरिंग शुरू कर दी गयी. जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों की ओर से भी फायरिंग की गयी. इस गोलीबारी में जोनल कमांडर आलोक मारा गया. वहीं नक्सलियों द्वारा की गयी गोलीबारी में दो ग्रामीण भी मारे गए जिनमें बेला गांव के जयराम यादव तथा महुआरी गांव निवासी वीरेंद्र यादव के नाम शामिल है.
पुलिस ने सभी शवों को अपने कब्जे में लेकर गया मगध मेडिकल कॉलेज भेज दिया है. घटनास्थल से एक ए के 47 तथा इंसास राइफल भी बरामद की गई है. घटना के बाद पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा आसपास के इलाके में लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
बताते हैं कि मुठभेड़ में मारे गये माओवादी नक्सली जोनल कमांडर पर 10 लाख रुप्ये का इनाम घोषित था. गौरतलब है कि चतरा जिले में शनिवार को नक्सलियों ने छठ घाट पर फायरिंग कर अर्घ्य देने के क्रम में एक कोयला कारोबारी मुकेश गिरी की भी गोली मार कर हत्या कर दी थी.
इस घटना के तुरंत बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक एमवी राव चतरा पहुंचे थे और वरीय पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के साथ नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चलाने को लेकर एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक कर नक्सलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया था. इस बैठक के तुरंत बाद पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है और जोनल कमांडर के ढेर होने से इलाके में नक्सली वारदातों में कमी आने की संभावना हैं