नई दिल्ली: तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में स्थित एक गांव के लोगों ने पिछले 35 दिनों से लाइट नहीं जलाई और अंधेरे में रहे. गांव के लोगों ने ऐसा क्यों किया इसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. गांव वालों ने एक जुट होकर फैसला एक चिड़ियां और उसके बच्चे को बचाने के लिए लिया है.
स्ट्रीट लाइट के स्विचबोर्ड में बना लिया था घोंसला
आपको बताते है आखिर पूरा माजरा क्या है? दरअसल बात यह है की जिस बोर्ड से गांव की स्ट्रीट लाइट जलती थी वहां एक पक्षी ने अपना घोंसला बना लिया था. उसके बाद उनसे घोंसले में अंडे भी दे दिए, अब गांव वालों को यह डर लगा कि कई स्विचबोर्ड का इस्तेमाल करते समय पक्षी के अंडे ना फूंट जाएं. ऐसे में उन्होंने निर्णय लिया कि जब तक पक्षी से अंडे फूटकर बच्चे बाहर नहीं आ जाते और बड़े नहीं हो जाते तब तक स्विचबोर्ड को कोई हाथ नहीं लगाएगा.
पक्षी और उसके अंडों के लिए लिया ये फैसला
टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संकट में गांव के लोगों ने देखा कि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में स्विचबोर्ड के अंदर एक पक्षी ने घोंसला बनाकर उसमें अंडे भी दे दिए हैं. जब लोगों ने झांक कर देखा तो घोंसले में तीन नीले और हरे रंग के अंडे दिखाई दिए. एक शख्स ने इस तस्वीर को गांव के व्हाट्सऐप ग्रुप में डाल दिया जिसके बाद फैसला लिया गया कि स्विचबोर्ड को कोई नहीं हाथ लगाएगा.
विरोध के बावजूद 35 दिन तक अंधेरे में रहे गांववालें
ऐसा तब तक होगा जब तक अंडे से पक्षी के बच्चे बाहर नहीं आ जाते और बड़े नहीं हो जाते. इस बीच कोई ना तो स्विचबोर्ड का प्रयोग करेगा और ना ही लाइट जलाएंगे. इस बात की जानकारी मिलने के बाद पंचायत की अध्यक्ष एच कालीश्वरी भी इस मुहिम में शामिल हो गईं, हालांकि इस बीच कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया. कई लोगों ने पक्षी और उसके अंडों के लिए गांव को अंधेरे में रखने के फैसले को मुर्खतापूर्ण बताया. 35 दिन तक अंधेरे में रहे विरोध के बावजूद गांव वालों ने बैठक की और यह फैसला लिया गया कि कोई भी लाइट नहीं जलाएगा. हालांकि गांव के लोगों का यह फैसला बहुत कठिन था क्योंकि अंधेरा होने की वजह से कई जगह हादसे होने का खतरा भी था. इन सब आशंकाओं को किनारे करते हुए गांव ने अपनी मुहिम शुरू की जिसे पूरा होने में 35 दिन का समय लगा. अब पक्षी और उसके बच्चे सुरक्षित हैं और घोंसले में नहीं है.