नई दिल्लीः देश के पहले सीडीएस की नियुक्ति को लेकर पूर्व सेनाप्रमुख जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी ने कही बड़ी बात.
उन्होने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति को स्वागत योग्य और ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने तख्तापलट के डर से ऐसा नहीं किया था. सीडीएस की नियुक्ति की लंबे समय से मांग हो रही थी और जरूरत इस बात की थी कि थलसेना, नौसेना और वायुसेना एक छत्र के नीचे आ जाएं, लेकिन समस्या राजनीतिक थी.
उन्होंने कहा कि इसके पीछे पूर्ववर्ती सरकारों को तख्तापलट का डर था. राजनीतिक दिग्गजों को इस बात का डर था कि अगर तीनों सेनाएं- सेना, नौसेना और वायुसेना एक छत्र के नीचे आ गई तो कहीं तख्तापलट न हो जाए.
यही एकमात्र कारण है कि इतने वर्षो तक देश में सीडीएस का पद नहीं बनाया गया था. बता दें कि 31 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और 1 जनवरी को उन्होंने देश के पहले सीडीएस के रूप में पदभार ग्रहण किया.
पूर्व सेनाप्रमुख ने कहा कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय के लिए सीडीएस का पद बेहद महत्वपूर्ण है. रॉय चौधरी ने पहले सीडीएस के रूप में जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति पर कहा कि वह बहुत अनुभवी हैं. इतने वर्षो तक उन्होंने भारतीय सेना में सेवाएं दी है.
उन्होंने विश्वास जताया कि वह तीनों सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुरूप विवेकपूर्ण और उचित फैसले लेंगे. सीडीएस को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह प्राप्त रक्षा बजट का तीनों सेवाओं के भीतर समान या प्राथमिकता वार आवंटित करने के लिए सरकार को अपनी सिफारिश देंगे.
बताते जलें कि वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के बाद भी भारत में एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद को बनाने की पहल के सुब्रह्मण्यम समिति की सिफारिस के आधार पर की गयी थी. लेकिन राजनीतिक असहमति और आशंकाओं के कारण यह आगे नहीं बढ़ सकी थी.
यद्यपि भारत में एक लंबे समय से बात की जाने वाली पद की आधिकारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2019 को लाल किले, नई दिल्ली में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान सार्वजनिक की गई थी.
24 दिसंबर 2019 को, कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने औपचारिक रूप से पद के निर्माण की घोषणा की, एक चार सितारा जनरल, एक त्रिकोणीय सेवा प्रमुख, जो रक्षा बलों का नेतृत्व करने के साथ-साथ अन्य भूमिकाएं भी निभाएगा जैसे कि प्रमुख रक्षा मंत्रालय के तहत सैन्य मामलों का विभाग।