रांचीः झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के नियोजन नीति जिसमें 13 जिले को आरक्षित और 11 जिले को गैर आरक्षित रखा गया था उसे चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के फैसले को गलत करार दिया है.
हाइकोर्ट के आदेश के बाद अब झारखंड में वर्ष 2016 में बनी नियोजन नीति लागू नहीं होगी. बताते चलें कि अब तक सरकार की नियोजन नीति में अनुसूचित जिलों में गैर अनुसूचित जिलों के लोगों को नौकरी के लिये अयोग्य माना गया था, जबकि अनुसूचित जिलों के लोग गैर अनुसूचित जिले में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते थे. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब झारखंड के किसी भी जिले का निवासी राज्य के किसी एक जिले से नौकरी के लिए आवेदन दे सकता है.
नियोजन नीति को चुनौती देते हुए प्रार्थी सोनी कुमारी के द्वारा याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि प्रार्थी गैर अनुसूचित जिले की रहने वाली है और उसने दूसरे जिले में हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति की परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था लेकिन उनका आवेदन यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि वह गैर अनुसूचित जिले की हैं.
अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि उनमें जो नियुक्ति प्रक्रिया थी, उसको रद्द करते हुए सरकार दोबारा नियुक्ति नीति प्रक्रिया शुरु करे. अदालत ने राज्य सरकार के 18000 शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के लिए निकाले गए विज्ञापन को खारिज कर दिया है. हाइकोर्ट की तीन न्यायाधीश जस्टिस एचसी मिश्र,जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस दीपक रोशन की खण्डपीठ ने सर्वसम्मति से यह आदेश पारित किया है.