रांची: झारखंड में कांग्रेस-झामुमो-राजद गठबंधन के नेता हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण समारोह को भाजपा विरोधी दलों के नेताओं के धुव्रीकरण के रूप में देखा गया. देश के कई दिग्गज विपक्षी नेता इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने. शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी एकजुटता की तस्वीर नजर आयी. इस विपक्षी एकजुटता का असर आगामी बिहार और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा.
हेमंत सोरेन सरकार में राजद कोटे से सत्यानंद भोक्ता को मंत्री के रूप में शपथ दिलायी गयी. विधानसभा चुनाव में राजद को सिर्फ एक सीट ही हासिल हुई और कांग्रेस-झामुमो के 46 विधायक चुनाव जीत कर आये है, ऐसे में 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में सामान्य बहुमत के लिए मात्र 42 सदस्यों की जरूरत है, इसके बावजूद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की इच्छा और देश में विपक्षी एकजुटता को प्रदर्शित करने के लिए राजद कोटे से पहले ही शपथ ग्रहण समारोह में सत्यानंद भोक्ता को शपथ दिलायी गयी.
पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस शपथ ग्रहण को लेकर काफी उत्साहित नजर आयी, वह शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए एक दिन पहले ही रांची पहुंच चुकी थी और हेमंत सोरेन को अपनी शुभकामनाएं दी. वहीं जब शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए ममता बनर्जी मंच पर पहुंची, हेमंत सोरेन ने खुद उनकी अगुवाई की और गठबंधन के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं से उनका परिचय करवाया. तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी को उम्मीद है कि झामुमो के सहयोग से सीमावर्ती जिलों और जनजातीय बहुल इलाकों में उनकी पार्टी को फायदा मिल पाएगा.
वहीं झारखंड में पहली बार दक्षिण भारत से भी कई कद्दावर नेता किसी मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे. डीएमके प्रमुख स्टालिन, सांसद कनिमोझी, टी.आर बालू के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर पूर्वी ,पश्चिमी, उत्तर और दक्षिण भारत से विपक्षी दलों के दिग्गज नेता मंच पर आकर देश की भावी राजनीति को लेकर एक स्पष्ट संदेश दिया.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस-राजद समेत अन्य दलों के गठबंधन को इसी तरह से बड़ी सफलता मिलेगी, वहीं पश्चिम बंगाल में भी भाजपा का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा.