रवि,
रांची: झारखंड सरकार ने डीजीपी के मुद्दे पर यूपीएससी को दो टूक जवाब दे दिया है. राज्य सरकार ने यूपीएससी द्वारा इस मुद्दे पर पूछे गए स्पष्टीकरण के जवाब में कहा है कि यूपीएससी अपने दायरे से बाहर नहीं जाए. राज्य का डीजीपी कौन होगा यह फैसला करना राज्य सरकार का काम है. यूपीएससी की जिम्मेवारी राज्य सरकार द्वारा भेजे गए नामों को मंजूरी देने या उचित आधार बताकर नामंजूर करने की ही है.
राज्य सरकार ने यूपीएससी को भेजे पत्र में आयोग द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर कड़ा एतराज जताया है और कहा है कि अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहा है. पत्र में कहा गया है कि आयोग का काम सरकार से जवाब तलब करना नहीं है. कौन अधिकारी कितने दिन डीजीपी रहे और उन्हें क्यों हटाया गया यह पूछने का अधिकार यूपीएससी को नहीं है.
सरकार ने कहा है कि विधि व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. कौन डीजीपी होगा या कौन नहीं होगा सरकार तय करेगी. अपने क्षेत्राधिकार से बाहर ना जाए. पत्र में पूर्व डीजीपी को हटाए जाने के कई कारण गिनाए गए हैं जिसमें लोहरदगा का दंगा भी शामिल है साथ ही कई नक्सली घटनाओं का भी जिक्र है.
सरकार की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि गठबंधन की सरकार बनने के बाद कामकाज की समीक्षा के बाद निर्णय हुआ कि डीजीपी कौन होगा. पूर्व के डीजीपी की इच्छा के अनुसार ही उन्हें पद स्थापित किया गया है. पत्र में आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि वहां तो सरकार बनने के अगले ही दिन डीजीपी को बदल दिया गया. जम्मू कश्मीर में भी प्रभारी डीजीपी से काफी दिनों तक काम लिया गया. पत्र में कहा गया है कि पूर्व डीजीपी के रिश्तेदार यूपीएससी के सदस्य हैं जो निर्णय को प्रभावित कर रहे हैं.
राज्य सरकार ने यूपीएससी को जो पत्र भेजा है वह 8 पन्नों का है. इसमें विस्तार से हर बिंदु को स्पष्ट किया गया है. साथ ही डीजीपी के लिए भेजे गए पैनल को स्वीकृत करने का अनुरोध किया गया है. बताते चले कि पूर्व के डीजीपी को कम समय में हटाने और बनाए जाने के मामले को गिरिडीह के रहने वाले एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस पर अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी.
बता दें कि राज्य सरकार को एक पत्र भेजकर यह पूछा था कि पूर्व के डीजीपी के. एन चौबे को कम समय में क्यों हटा दिया गया. झारखंड में प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति क्यों की गई है. राज्य सरकार ने डीजीपी के लिए आईपीएस अधिकारियों के नामों की सूची मंजूरी के लिए भेजी थी उसके जवाब में ही आयोग ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया था.