सुभाष प्रसाद सिंह,
जामताड़ा: जामताड़ा जिले में प्रकृति प्रेम का महापर्व सोहराय धूमधाम से मनाया जा रहा है. कहीं गौवंश की पूजा कर, कहीं मछली मार कर तो कहीं ढ़ोल तथा मांदर की थाप पर नृत्य करके आदिवासी परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है.
जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों के आदिवासी गांव में देर रात तक ढोल तथा मांदर की आवाज सुनाई पड़ती रहती है.
इस संबंध में आदिवासी पुजारी ने बताया कि 5 दिन अलग-अलग ढ़ंग से जाहेर थान में पूजा होती है. वहीं अंतिम दिन शिकार किया जाता है. खिचड़ी बनाकर सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण किया जाता है.