रवि,
रांचीः राज्य में बाघों की संख्या एक पहेली बन गयी है. वन विभाग के आला अफसरों को यह भी पता नहीं है कि प्रदेश में बाघों की संख्या कितनी है. हालांकि वन विभाग वर्ल्ड टाइगर डे भी मनाता है. इस साल कोरोना संकट के कारण आयोजन नहीं हो पाया. इस दिन बाघों के संरक्षण का संकल्प भी लिया जाता है. संकल्प लेने के बाद अफसर बाघ के संरक्षण की बात ही भूल जाते हैं. यही नहीं हाईकोर्ट ने भी बाघों के संरक्षण को बढ़ावा देने से संबंधित आदेश भी दिया, लेकिन विभाग ने उसका भी अनुपालन नहीं किया. इधर, पूर्व मंत्री सह विधायक सरयू राय ने भी बाघ की मौत पर कई सवाल उठाए हैं.
वन विभाग का दावा बाघों की संख्या है चार पर स्पष्ट नहीं
वन विभाग के पास बाघ का सही आंकड़ा नहीं है. विभाग ने दावा किया है कि बाघों की संख्या तीन से बढ़कर चार हो गयी है. जबकि देशभर में हुई जनगणना के अनुसार झारखंड में बाघों की संख्या सिर्फ तीन बतायी गयी है. सही आंकड़ा नहीं होने के कारण अब तक बाघों की संख्या पहेली ही बनी हुई है.
वन विभाग का तर्क
वन विभाग ने तर्क दिया है कि टाइगर रिजर्व एरिया में पुलिस पिकेट स्थापित कर दिये गये हैं. नियमत: कोर एरिया में पुलिस पिकेट नहीं होना चाहिये. वर्तमान में बेतला, कुटकू, बरवाडीह, गारू, बारसेन, महुआटांड सहित अन्य इलाकों में एक दर्जन से अधिक पुलिस पिकेट हैं. नक्सलियों के खिलाफ गोलीबारी से जानवरों पर विपरित असर पड़ता है. इस कारण जंगली जानवर पड़ोस के जंगलों की ओर रूख करते हैं.
टाइगर फाउंडेशन भी कारगर नहीं
राज्य में टाइगर फाउंडेशन का भी गठन किया जा चुका है. यह एक ऑटोनॉमस बॉडी है. इसमें दो इकाइयां गवर्निंग बॉडी और कार्यकारिणी समिति है. गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष विभाग के मंत्री होते हैं. फिलहाल मुख्यमंत्री के अधीन वन विभाग है. इस हिसाब से मुख्यमंत्री गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष हैं. जबकि कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष पीसीसीएफ वन्य प्राणी हैं. इसके बावजूद भी यह कारगर नहीं हो पाया है.
क्या है बाघों की जनगणना का फॉर्मूला
- बाघों के पंजों के निशान का अध्ययन किया जाता है.
- कैमर ट्रैप की जद में आये बाघों का विश्लेषण किया जाता है.
- बाघों के मल की जांच की जाती है.
- यह भी पता लगाया जाता है कि बाघ कितने बड़े क्षेत्र में भ्रमण करते हैं.
क्या है वन मंत्रालय का निर्देश
वन मंत्रालय के निर्देशानुसार शेर, बाघ और हाथियों के लिये राज्यों में सुरक्षित क्षेत्र का विकास किया जाना है. जानवरों के शिकार और उसके व्यवसायिक शोषण के खिलाफ उच्चस्तरीय विधिक सुरक्षा उपलब्ध करायी गयी है. दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा के प्रावधान किये गये हैं. अभियोजन चलाने के लिये सीबीआई को पर्याप्त शक्ति भी दी गयी है.
साल दर साल घटती गयी बाघों की संख्या
साल- बाघों की संख्या
- 1992- 50
- 1993- 44
- 1994- 49
- 1995- 50
- 1996- 40
- 1997- 44
- 1999- 37
- 2000- 37
- 2002- 38
- 2003- 36
- 2005- 17
- 2007- 15
- 2009- 17
- 2011- 07
- 2011-12- सिर्फ गिनती, स्पष्ट आंकड़ा नहीं.
- 2013- स्पष्ट आंकड़ा नहीं .
- 2016-17- 03
- 2018- स्पष्ट आंकड़ा नहीं, विभाग का दावा चार से पांच बाघ हैं.
- 2019-2020- सही आंकड़ा नहीं