नीता शेखर,
आज मन बड़ा उदास लग रहा था. बार-बार राजेश खन्ना की फिल्म का वह गाना याद आ रहा था “जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम वो फिर नहीं आते”!
मैं भी समंदर किनारे बैठ कर उसकी लहरों के उतार-चढ़ाव देख रही थी. लहरें आती तो जरूर थे पर लौट कर जाती नहीं थी. वैसे ही इंसान की जिंदगी में एक बार कुछ घटित हो जाए तो नासूर से बनकर दिल की गहराइयों में कहीं न कहीं दबी रह जाती है.
अंजू की कहानी सुनकर मुझे बार-बार यही ख्याल आ रहा था. सच ही तो कह रही थी जो उसके साथ घटित हुआ क्या वह कभी भूल पाएगी. जिंदगी के सफर में जो गुजर गया वह कभी लौटकर आएगा.
जब वह 5 साल की थी तभी एक कार एक्सीडेंट में उसके पापा की मौत हो गई थी. उसी समय उसको इतना गहरा असर हुआ कि वह जरा भी कहीं खून देख लेती तो बेहोश हो जाती थीं.
5 साल की उम्र में वह हादसा एक नासूर बन गया था हालांकि उसके चाचा ने उसकी मम्मी को अपनाकर उसे भी अपना बना लिया था. कभी महसूस नहीं होने दिया कि वह उसके अपने पिता नहीं है. फिर जैसे-जैसे बड़ी हो रही थी वैसे ही भूलती जा रही थी. पर नहीं भूलती तो खून देखकर बेहोश होना.
मुझे याद है जब कॉलेज में थी एक हवा के झोंके से क्लास में खिड़की का शीशा टूट कर एक लड़की के हाथ पर गिर गया. वह बुरी तरह जख्मी हो गई थी. काफी खून बह रहा था. उसने जैसे ही खून देखा वह बेहोश होकर गिर पड़ी. होश आया तो पूछा क्या हुआ. हमने बात को वहीं खत्म कर दिया था. धीरे-धीरे समय गुजरने के साथ उसकी बेहोशी भी कम होने लगी थी. शादी हो गई थी. सभी दोस्तों की शादी हो गई. सब अपने-अपने गिरस्थी में रम गए थे. इसी बीच मुझे मुंबई जाने का मौका मिला था. मैंने सोचा कि चलो अच्छा है इसी बहाने अंजू से भी मिलूंगी.
बहुत दिनों बाद हम दोस्त मिले. एक दूसरे से काफी बातें हुई. फिर मैंने देखा सब कुछ होने के बावजूद भी अंजू काफी उदास लग रही थी. मैंने उसको काफी कुरेदा तब जाकर उसने बताना शुरू किया. शादी तो अच्छे घर में हुई थी. पति भी ओएनजीसी में अच्छे पद पर काम करते थे. सब कुछ होते हुए भी कुछ था, जो खटक रहा था. दिन गुजर जाता था पर रात के ही आते ही अंजू को डर लगने लगता था अब क्या होगा? अंजू के पति को शराब पीने की बुरी लत थी! उस पर अगर किसी ने कुछ कह दिया तो फिर पूरा बवाल मचा देते थे!
अंजू मां बनने वाली थी. वह हर दिन अपने पति को समझाती. अब तो आप छोड़ दीजिए. हम माता पिता बनने वाले हैं. अब तो आप इन सब चीजों को कम से कम बच्चे का सोचकर छोड़ दे, बात को सुनते ही नहीं थे. ऐसे ही एक काली रात में इतना हल्ला मचा रहे थे कि उस दिन तो उन्होंने इतनी पी ली थी कि सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो गई थी, ऐसे ही किसी बात पर नौकर ने कुछ कह दिया तो, उसको बेल्ट से मारना शुरू कर दिया. अंजू चिल्लाती जा रही थी मत मारो मत मारो, मत मारो मगर वह सुन ही नहीं रहे थे. तभी उसने देखा उसके नौकर को ऐसा मारा कान से खून निकलने लगा फिर अंजू जोरों से चिल्लाई और उसको बचाने के लिए दौड़ पड़ी पर खून देखते ही धड़ाम से नीचे गिर पड़ी.
जब उसे होश आया तो वह अस्पताल में थी. डॉक्टर ने बताया जिंदगी में वह कभी मां नहीं बन सकती. बिल्कुल खामोश हो गई थी. उसे बस यही लगता है यह सब मेरे साथ ही क्यों? मैंने तो किसी का बुरा नहीं किया.
अब इस घटना के बाद उसके पति ने भी शराब से तौबा कर ली थी. उन्होंने प्रण ले लिया था कभी शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा पर अब सोचकर क्या फायदा अब उसकी दुनिया ही उजड़ गई. धीरे-धीरे सब पहले की भांति नॉर्मल हो चला था, पर अंजू के मन में हमेशा हमेशा के लिए वह हादसा बैठ गया था. अंजू कभी भी उस हादसे को भूल नहीं पाती, भूलना चाहती ही नहीं थी. अब उसके पति भी दिन रात उसको हंसाने और समझाने की कोशिश करते मगर वह हंसना ही नहीं चाहती थी.
मैंन अंजू से विदा लेकर अपने होटल आ गई. शाम को समंदर किनारे बैठ कर मुझे बार-बार यही गाना याद आ रहा था “जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मकाम वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते.”