देवघर:- बहुत मुश्किल है, उस शख्स को गिराना. चलना जिसे ठोकरों ने सीखाया….. बुधवार को यह पोस्ट पूर्व मंत्री राज पलिवार ने अपने फेसबुक एकाउंट पर की है. पोस्ट आने के बाद राज पलिवार से बात की गयी तो वह काफी नाराज दिखे. इस बात से नाराज हैं कि उनको मंगलवार को भाजपा प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह के नामांकन में बुलाया तक नहीं गया. पलिवार ने कहा कि हमको किसी ने नहीं बुलाया…. कोई आधिकारिक सूचना तक नहीं आयी. उम्मीदवार तक ने नहीं बुलाया. आखिर प्रत्याशी को तो आकर मिलना चाहिए. बुलाना चाहिए, बताना चाहिए. राज पलिवार ने सवालिया लहजे में कहा कि जब बुलाया ही नहीं गया तो, क्या करें. इसलिए इस बात से नाराजगी है कि नामांकन में बुलाया नहीं गया है. आखिर संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष होने के नाते तो बुलाना चाहिए था…. यह तो प्रोटोकॉल होता है.
पूर्व मंत्री और मधुपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक पलिवार ने भाजपा टिकट नहीं मिलने के सवाल पर चुप रहे. किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी. लेकिन भाजपा का प्रत्याशी बदल दिए जाने पर लगातार फेस बुक और ट्विटर पर कुछ ना कुछ पोस्ट कर अपना दर्द जाहिर कर रहे हैं. उनका एक ट्वीट चर्चा का विषय बना हुआ है जिसमें लिखा है-कन न सके हम प्यार का सौदा, कीमत ही कुछ ऐसी थी.
सवाल जहर का तो नहीं था…
पलिवार को उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें मधुपुर विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी बनाएगी. लेकिन आजसू नेता गंगा नारायण सिंह भाजपा में शामिल होकर टिकट झकट ले गए. अब अंदर ही अंदर झारखंड प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष राज परिवार छटपटा रहे हैं. सोशल मीडिया में अपना दर्द साझा कर रहे हैं. 22 मार्च को फेसबुक पर एक पोस्ट कर उन्होंने लिखा है-सवाल जहर का तो नहीं था, वो तो मैं पी गया. तकलीफ लोगों को तब हुई जब मैं जी गया. वह पोस्ट कह रहा है कि 2009 में जब टिकट काट दिया गया था तब भी नीलकंठ की तरह जहर पी गए थे और इंतजार का फल इतना मीठा आया कि उसी नीलकंठ के आर्शीवाद से 2014 में टिकट ही नहीं मिला बल्कि चुनाव जीतकर मंत्री भी बने. अपने बीते दिनों को भी इन चंद पंक्तियों से फेस बुक पर बयां किया है.