रांची: बीजेपी विाायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि राज्य सूचना आयोग में रक्त पड़े मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के रिक्त पदों को जल्द भरने की मांग की है.
बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में गैर सूचना आयुक्तों का यह आयोग आज खुद अप्रभावी हो चुका है. वर्तमान में आयोग में सूचना आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त, सभी का पद पूरी तरह रिक्त है.
उन्होंनेक हा कि किसी भी राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार व गड़बड़ी को सार्वजनिक करने के लिए सूचना का अधिकार आम जनता का अचूक हथियार है. इसके लिए सूचना आयोग का सशक्त होना अतिआवश्यक है. जबकि आयुक्त विहीन कोई भी आयोग का कोई औचित्य नहीं है, यह मृतप्राय होता है.
झारखंड में सूचना आयोग की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. हाल तक केवल एक सूचना आयुक्त सह प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त के सहारे यह आयोग संचालित हो रहा था.
बीते 8 मई, 2020 से प्रभारी सूचना आयुक्त का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद सूचना आयोग पूरी तरह आयुक्त विहीन हो गया है. सूचना आयुक्त का पद रिक्त होने की वजह से आयोग कर्मियों के समक्ष वेतन का भी संकट खड़ा हो गया है.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड देश का इकलौता ऐसा प्रदेश है, जहां आयोग में सूचना आयुक्तों का पद रिक्त है. स्वस्थ व पारदर्शी लोकतांत्रिक व्यवस्था के दृष्टिकोण से इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है.
इससे नौकरशाहों में भ्रष्टाचार व निरंकुशता बढ़ना स्वाभाविक है. जानकारी के अनुसार आयोग में लगभग 7500 से अधिक अपील लंबित हैं. प्रत्येक माह 500 के आसपास अपील आयोग तक पहुंचती है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जनवरी, 2020 में उच्च न्यायालय में शपथ-पत्र दायर कर बताया गया था कि एक मुख्य सूचना आयुक्त और पांच सूचना आयुक्तों की नियुक्ति जल्द कर ली जाएगी.
राज्य सरकार द्वारा विज्ञापन निकालकर सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ भी की गई थी. पंरतु पता नहीं सरकार ने इस महत्वपूर्ण मामले को क्यों लटकाए रखा है?
समझ से यह भी परे है कि अपने ही द्वारा दायर शपथ-पत्र मामले में सरकार इतनी उदासीन क्यों है और इसमें सरकार की दिलचस्पी क्यों नहीं है ? यह एक प्रकार से अदालत का अवमानना से भी जुड़ा मामला है.
उन्होंने कहा कि नियम-सम्मत सूचना आयुक्तों की नियुक्ति तत्काल करने की जरूरत है, ताकि प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं गड़बड़ियों पर अंकुश लगाया जा सके.