रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि मुआवजे को लेकर उन्हें कई शिकायतें मिली हैं. लगातार शिकायतें आ रही हैं. 25-30 साल पहले जो जमीन अधिग्रहित हुईं हैं उस पर अब जाकर काम हो रहा है. राज्य में भूमि अधिग्रहण कानून तो बना लेकिन पूर्व की रघुवर सरकार ने इस कानून का घोर अवहेलना की है, जिसका खामियाजा रैयतों को भुगतना पड़ रहा है.
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मुख्यमंत्री सोरेन बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद द्वारा सदन में मुआवजे को लेकर उठाये गये सवाल पर जवाब दे रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस दिशा में गंभीर है. यही वजह है कि सरकार राज्य में विस्थापन आयोग का गठन करने जा रही है. इससे ग्रामीणों की समस्याओं का जड़ से निदान होगा.
गोड्डा में रैयतों को 55 लाख और बड़कागांव में मात्र 20 लाख मुआवजा?
सदन में बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद ने बड़कागांव में रैयतों को मुआवजा राशि कम दिये जाने का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि यहां के रैयतों ने राज्य के विकास के लिए अपनी जमीनें दी, लेकिन उन्हें मात्र 20 लाख रुपये मुआवजा ही दिया गया. यह गलत है. जबकि, गोड्डा में रैयतों को 55 लाख रुपये मुआवजा दिया गया है. उनका पुनर्वास भी नहीं हो रहा है.
बड़कागांव के ग्रामीण धूल और पॉल्यूशन की मार झेल रहे हैं. इस पर मंत्री जगरनाथ महतो ने जवाब देते हुए बताया कि इस मामले को लेकर प्रमंडलीय आयुक्त की अध्येक्षता में कमेटी बनायी जायेगी, कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद मुआवजे के भुगतान की कार्रवाई की जायेगी. अंबा प्रसाद के सवाल को विधायक प्रदीप यादव ओर लोबिन हेम्ब्रम ने भी साथ दिया.
विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि जमीन का अधिग्रहण एनटीपीसी ने किया है. मुआवजा सरकार के खाते से नहीं बल्कि एनटीपीसी को देना है. सरकार को इस पर निर्णय लेना चाहिए.
वहीं, विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि यह जमीन कोल बियरिंग एक्ट तहत अधिग्रहण की गयी है. उक्त एक्ट में प्रावधान भी है कि जिनकी जमीन अधिग्रहण की गयी है उस रैयत के एक सदस्य को नौकरी दी जायेगी.
तकनीकी शिक्षा पा रहे विधार्थियों की छात्रवृति का मामला भी सदन में उठा
विधायक रामदास सोरेन ने सदन में छात्रवृति का मामलाा उठाया. उन्होंने कहा कि दूसरे राज्य में तकनीकी शिक्षा पा रहे विधार्थियों को छात्रवृति नहीं मिल रही है. कई शिकायतें मिली हैं.
वहीं, विधायक स्टीफन मरांडी ने भी कहा कि उनके पास भी कई छात्र आयें. छात्रों ने बताया कि उनको सरकार की ओर से मिलने वाला ग्रांट अचानक बंद कर दिया गया है. जिससे उन्हें परेशानी हो रही है. ज्यादातर छात्रों को फीस नहीं मिलने की वजह से संस्था न आधी पढ़ाई में ही लौटा दिया है. अब उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है.
इसके जवाब में मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि विद्यार्थियों की छात्रवृति बंद नहीं किया गया है, उन्हें संस्था न में इंट्री दी जा रही है. इसके बावजूद ऐसे मामले आयेंगे तो सरकार उसे देखेगी.