नीता शेखर,
मनुष्य क्या है एक पेड़ की भांति तो है. जैसे कुछ पेड़ मीठे फल देते हैं कुछ खट्टे. कुछ पेड़ कांटे वाले भी होते हैं. यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह कौन सा पेड़ चुने. वैसे ही सुनील के पेड़ में कभी मीठे फल हुआ करते थे पर नियति कहिए या संगति, सुनील ने कांटो वाली पेड़ चुन ली. जिसने उसको इतना कांटा चुभाया कि पूरा परिवार बिखर गया.
सुनील पढ़ने में काफी तेज था. वह बड़ा होकर अपने पापा की तरह ही प्रोफेसर बनना चाहता था पर नियति को कुछ और ही मंजूर था. सब कुछ अच्छा होते हुए भी उसमें एक खराबी थी कि वह किसी भी आदमी के बहकावे में आकर कुछ भी कर सकता था.
हम सभी एक साथ कॉलोनी में रहते थे. ऐसे तो वह काफी अच्छा था. कॉलोनी में भी उसका इतनी धाक थी कि कोई उसे कुछ बोल नहीं सकता था. सुनील ने जब इंटर पास किया तो उसने वहीं के कॉलेज में बीएससी में एडमिशन ले लिया.
अब कॉलेज में उसकी दोस्ती कुछ ऐसे लड़कों से हो गई जो अपना फायदा निकालते थे. जो कुछ भी कर सकते थे. उन्होंने सुनील की कमजोरी को अच्छे से समझ लिया. अब वे समझ गए थे कि इसको जोश दिलाने पर कुछ भी कर सकता है क्योंकि गलत सही का ज्ञान कर ही नहीं पाता था.
वैसे ही शुरू में उसके दोस्त बोलते थे सुनील यह बस का शीशा तोड़ दो, आराम से जा कर छोड़ दो, किसी राहगीर से मारपीट कर ले, वे ऐसी ही छोटी हरकतें करता था.
अचानक एक दिन हम लोगों ने देखा उसके घर के सामने पुलिस खड़ी थी और एक दस्ता भी पुलिस का आया हुआ था. फिर वह लोग सुनील को अरेस्ट करके ले गए. आंटी का तो रो रो कर बुरा हाल था. फिर भी मां का दिल मां का ही होता है. वह जल्दी से जाकर लड्डू की थाली लाईं और अपने बेटे को खिलाने लगी. फिर पुलिस उसे लेकर चली गई.
सुनील ने ऐसा क्या किया जो पुलिस वाले ले गए. सवाल तो यह था कि पूछे तो पूछे कौन? अब सुनील के घर की रोशनी बुझ गई थी. इस तरह की घटना हम लोगों की कॉलोनी में पहली बार हुई थी. इसलिए अब सब के मन में डर बैठ गया था. सब डर गए थे. अचानक से पता चला कि सुनील को 2 साल की जेल हो गई है. जो लड़का सबकी नजर में अच्छा बना हुआ था, आज सब उससे दूर हो गये थे. उसके पापा ने तो जो खटिया पकड़ी फिर उठ ही नहीं पाए. जो इतने विद्वान थे, आज उनका लड़का बैंक डकैती में पकड़ा गया यही उनको बर्दाश्त नहीं हुआ. एक हंसता खेलता परिवार बर्बाद हो गया छोटा भाई बाहर चला गया. बहन भी बाहर चली गई.
उन लोगों को इतनी शर्मिंदगी उठानी पड़ी कि वह किसी से मिलते जुलते नहीं थे. सब लोगों ने भी उनसे दूरियां बना ली थी. संगति का असर इतना खराब होता हैं आज सभी को एहसास हो रहा था. इतना तेज दिमाग वाला लड़का कैसे इन चक्करों में फंस गया ? यही उसकी नियति थी. संगति का असर उस पर बुरी तरह से हुआ. जब वह बेल पर छूटकर आया तो कल तक जो उसके साथ खेला करते थे. सब दूर-दूर रहने लगे. पता चला वैसे ही जोश में दोस्तों ने उससे कहा तुम बैंक डकैती करके दिखा सकते हो तो दिखाओ तो जाने और उसने सही में बैंक डकैती कर डाली. उसका परिवार पूरी तरह से बिखर गया था फिर एक दिन सब ने देखा वे लोग सारे सामान के साथ कहीं चले गए. फिर क्या हुआ कहां गए किसी को नहीं मालूम.
इस कहानी का मतलब यही है कि संगत का असर बहुत ज्यादा पड़ता है. वह भी दोस्तों का. इसलिए अच्छे दोस्त बनाने चाहिए, जिनके संगत अच्छी हो क्योंकि सच्चा दोस्त वही होता है जो आपको सही रास्ता दिखाए. जो लड़का तेज दिमाग वाला होकर भी संगति की वजह से बर्बाद हो गया, क्योंकि उसने रास्ता ही उसने गलत चुन लिया था. वहां उसने बहुतों को सिखा दिया कि हमेशा सही रास्ता चुनो. गलत रास्ता चुनने से कैसे एक परिवार बिखर जाता है. उसके जीवन में हमेशा हमेशा के लिए अंधकार भर गया था. सुनील ने कांटो वाले पेड़ को चुन लिया था जो जीवन भर उससे कांटा चुभाता रहेगा.