दिल्ली: भारत में कोविड-19 का पहला केस सामने आए हुए छह महीने बीत चुके हैं. तब से ही देश के कुछ महानगर महामारी का केंद्र बने हुए हैं, हालांकि, इनकी रैंकिंग बदलती रही है. अब इन महानगरों में कोरोना की रफ्तार तो धीमी हो रही है, लेकिन अभी भी दैनिक केस का बोझ काफी ज्यादा है.
भारतीय शहरों की अधिकांश तुलना राज्य सरकारों की ओर जारी जिला-स्तरीय आंकड़ों से की जाती है. हालांकि, शहरों के बारे में कई बार ये आंकड़े भ्रामक होते हैं.
उदाहरण के लिए, ठाणे जिले में प्रति दिन सबसे अधिक या दूसरे सबसे अधिक केस दर्ज हो रहे हैं, लेकिन जिले में छह नगर निगम शामिल हैं. इनमें से प्रत्येक निगम अपने आप में शहर का अधिकार रखते हैं.
दूसरी ओर, मुंबई दो जिलों से बना है, लेकिन एक शहर है. यह विश्लेषण शहर-स्तरीय आकड़ों पर आधारित है, जिसे शहरों की आधिकारिक वेबसाइट और अधिकारिक ट्विटर हैंडल से एकत्र किया गया है. दिल्ली के आंकड़े पूरे शहर के हैं.
1 अगस्त तक दिल्ली, मुंबई और चेन्नई भारत के तीन सबसे ज्यादा प्रभावित शहर हैं, जहां एक-एक लाख से ज्यादा केस हैं. ये अभी भी अन्य बड़े शहरों से आगे हैं. बेंगलुरु चौथे स्थान पर था, जिसकी तुलना में दूसरे स्थान पर रहे मुंबई में दोगुने केस थे.
पिछले महीने में बेंगलुरु और पुणे ने दिल्ली और चेन्नई को सबसे प्रभावित शहरों के रूप में पीछे छोड़ दिया. हालांकि, सबसे ज्यादा प्रभावित रहे सभी पांचों शहरों में अब भी हर दिन 1,000 से ज्यादा केस दर्ज हो रहे हैं.
दिल्ली में 28 मई से हर दिन 1,000 से ज्यादा केस दर्ज किए जा रहे हैं और मुंबई की स्थिति इसे मामूली तौर पर ही बेहतर है. बेंगलुरु और पुणे में कोरोना केसों में बढ़त जारी है, जबकि चेन्नई में जुलाई की शुरुआत से मामूली कमी देखी जा रही है.
बेंगलुरू में केस सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित सभी बड़े शहरों में कोरोना की ग्रोथ रेट काफी धीमी हुई है. कोलकाता में यह ग्राफ पिछले कुछ हफ्ते से ऊपर-नीचे हो रहा है. बेंगलुरु में कोरोना के केस दोगुना होने में 17 दिन का समय लग रहा है.