रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने कहा है कि न्याय मांगते किसान के सीने पर पड़ने वाली लाठियां केंद्र की नरेंद्र मोदी राज के कफन में आखिरी कील साबित होगी.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना अपराध नहीं, कर्तव्य है, देश के लिए जय किसान था और रहेगा. मोदी सरकार पुलिस की फर्जी एफआईआर से किसानों के मजबूत इरादे नहीं बदल सकती. कृषि विरोधी काले कानूनों के खत्म होने तक ये लड़ाई जारी रहेगी.
उन्होंने कहा कि किसानों पर मोदी सरकार भले ही वाटर केनन चलवाएं, बड़े-बड़े पत्थर लगाकर रास्ता रुकवाएं, कंटीले तार लगाये, मिट्टी के ढ़ेर लगा, सड़कों को बंद करे, बैरियर लगा कर बाधा डलवाये, लेकिन देश के किसानों के मजबूत किसानों के इरादे के आगे केंद्र सरकार को झुकना ही होगा.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कंपनियों के दफ्तर जा फोटो खींचा रहे है और लाखों किसान दिल्ली के सड़कों पर कराह रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा नारा तो जय जवान जय किसान का था, लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार ने जवान को किसानों के खिलाफ खड़ा कर दिया. जब भाजपा के खरबपति मित्र दिल्ली आते हैं, तो उनके लिए लालकालीन डाली जाती है, मगर किसानों के लिए दिल्ली आने के रास्ते खोदे जाते हैं.
एक देश एक चुनाव की चिंता करने वाले प्रधानमंत्री को एक देश, एक व्यवहार भी लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब गांधजी की सत्य-अहिंसा की लाठी लेकर देश के किसान निकले तो दुनिया का सबसे बड़ा ब्रिटिश साम्राज्य तिनके की तरह बिखर गया. आज फिर दिल्ली दरबारके भाजपाई अहंकारियों के खिलाफ हुंकार गूंजी है. कांग्रेस काले कानून को खत्म करने को लेकर वचनबद्ध है.
प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि किसानों से समर्थन मूल्य छिनने वाले कानून के विरोध में किसान की आवाज सुनने की बजाय भाजपा सरकार उन पर भारी ठंड में पानी की बौछार मारती है, बुजुर्ग और महिला किसान पर लाठियां चलाती है, सबकुछ उनका छीना जा रहा है और पूंजीपतियों को थाल में सजाकर बैंक, कर्जमाफी, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन बांटे जा रहे हैं.
प्रदेश प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि प्रधानमंत्री को यद रखना चाहिए था, जब जब अंहकार सच्चाई से टकराता है, पराजित होता है, सच्चाई कल लड़ाई लड़ रहे किसानों को दुनिया की कोई सरकार नहीं रोक सकती, केंद्र सरकार को किसानों की मांगें माननी ही होंगी और काले कानून वापस लेने होंगे.