रवि सिंह,
UP: यूपी का मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर विकास दुबे गुरुवार को उज्जैन में पकड़े जाने के बाद से टेंशन में था. विकास ने उज्जैन टू कानपुर के 12 घंटे के आखिरी सफर में रातभर में एक झपकी तक नहीं ली थी. शायद उसे इस बात का अंदाजा था कि पुलिस कुछ खेल कर सकती है. विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इस सफर में विकास से यूपी एसटीएफ ने कई सवाल किए. जिनके जवाब देते वक्त उसके चेहरे पर कोई सिकन नहीं थी.
विकास ने 50 से ज्यादा पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के नाम गिनाए, जो उसके मददगार थे. कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के बड़े नेताओं के नामों का भी खुलासा किया तो साथ बैठे लोग एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे थे. चेहरे पर मुस्कान लिए विकास ने कहा- गुस्से में बिकरुकांड हो गया. आप लोग (पुलिसवाले) जेल भेज भी देंगे तो कुछ महीने या साल में जमानत मिल जाएगी. विकास एनकाउंटर से पहले अपने कबूलनामे में कई मददगारों के नाम उजागर किए थे. कहा था कि 50 से ज्यादा पुलिसवालों ने उसकी अब तक मदद की है.
इसमें तीन एडिशनल एसपी और दो आईपीएस अफसरों के नाम भी शामिल हैं. यहीं नहीं, उसे जुबानी सभी नाम याद थे और कौन कहां पोस्टेड है, यह भी बताया था. विकास ने कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के कई नेताओं के नाम लिए. उसने दिवंगत सीओ देवेंद्र मिश्र से अपनी चिढ़ का राज भी खोला. कहा कि सीओ उसे हद में रहने की बात करते थे. लेकिन वह चाहता था कि उसके गांव, आसपास के इलाके और थाने पर सिर्फ उसका ही राज चले. पुलिस का दखल मुझे पसंद नहीं था.
विकास ने यही बात उज्जैन में भी पूछताछ के दौरान कही थी. बताया कि सीओ उसे लंगड़ा कहते थे. मेरे क्षेत्र में मुझे ऐसा कोई कैसे कह सकता था. इसलिए सोच रखा था कि इसे निपटाऊंगा. सीओ से चिढ़ थी, अन्य पुलिसवालों का क्या दोष था? इस सवाल के जवाब में विकास ने पाश्चाताप जताया. उसने कहा कि गुस्से में इतना बड़ा कांड हो गया.
लेकिन इतनी बड़ी कार्रवाई हो जाएगी, इसका भी अंदाजा नहीं था. उसे लग रहा था कि उसके ‘खास लोग’ उसे बचा लेंगे. रास्ते में वह कई बार खुद पुलिसवालों से पूछता रहा कि आगे क्या करने वाले हैं. विकास को लगता था कि पुलिस उसे जेल भेजेगी. इसीलिए वह मुतमईन था कि वह कुछ माह या सालभर में जमानत पर जेल से बाहर आ जाएगा.