रांची:- केंद्रीय सरना समिति, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद एवं आदिवासी सेंगेल अभियान के संयुक्त तत्वाधान में गुरुवार को राजभवन के समक्ष केंद्र सरकार से सरना कोड की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना दिया गया. पांच सदस्य प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल से मिल कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा एवं सरना कोड पर बातचीत किया. बातचीत के क्रम में राज्यपाल ने भावुक होकर सरना धर्मकोड को लेकर चिंता व्यक्त किए उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए जरूरी है. जरूरी इसलिए कि उनकी पहचान बनी रहेगी.
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड सरकार के द्वारा सरना धर्मकोड विधानसभा से पास करके बिना राज्यपाल के हस्ताक्षर किये केंद्र सरकार को भेज दिया गया. इस पर उन्होंने नाराजगी और चिंता जताई सरना धर्म कोड का प्रॉपर चैनल नहीं भेजा गया. इसको केंद्र सरकार कभी भी वापस भेज सकती है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले ट्राईबल एडवाइजरी काउंसिल से पास कराकर विधानसभा में रखना चाहिए था. विधानसभा के पास कराकर राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद केंद्र सरकार को भेजना चाहिए था. जो कि राज्य में पांचवी अनुसूची लागू है इसलिए राज्यपाल का हस्ताक्षर जरूरी है. ऐसा ना करके राज्य सरकार ने आदिवासियों के साथ नाइंसाफी किया है.
इस पर केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार आदिवासियों के साथ अन्याय कर रही है. 2021 की जनगणना नजदीक है. अभी तक आदिवासियों को सरना कोड नहीं दिया गया है. 2021 की जनगणना में आदिवासी को हिंदू बनाने का षड्यंत्र चल रहा है. प्राकृतिक पूजक आदिवासी वर्षों से अपनी पहचान की लड़ाई लड़ रही है. हर हाल में 2021 की जनगणना में आदिवासी सरना कोड चाहते हैं. परंतु केंद्र सरकार सरना कोड की मांग पर चुप है. परंतु आदिवासी समाज चुप नहीं बैठने वाला सरना कोड को लेकर 31 जनवरी 2021 को आदिवासी पूरे देश में जोरदार ढंग से रेल रोड चक्का जाम करेंगे.
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि राज्य सरकार की वादाखिलाफी और धोखा से 2021 में होने वाला जनगणना से लाखों आदिवासी वंचित रह जाएंगे जो कि राज्य कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की मिली जुली सरकार में सरना आदिवासियों के साथ छल किया है. श्री लकड़ा ने कहा कि कहने का तो लोग कहते हैं कि राज्य में आदिवासी सरकार है. लेकिन यह साबित हो गया है कि यह आदिवासियों की नहीं बल्कि यह सरकार आदिवासियों की दुश्मन है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद आदिवासी है फिर भी उन्होंने हमें ठगने का काम किया है. उधर कांग्रेस का रामेश्वर उरांव किस तरह के आदिवासी है कहा नहीं जा सकता. इन दोनों पार्टियों को भविष्य में जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरना कोड विधानसभा से पास होने पर विभिन्न आदिवासी संगठनों ने खुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ मांदर की थाप पर नाचते गाते देखे गए. ऐसे संगठनों ने आदिवासियो को छलने का काम किया है.
इस मौके पर केंद्रीय सरना समिति के संरक्षक ललित कच्छप, भुनेश्वर लोहरा, केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की, उपाध्यक्ष प्रमोद एक्का, महिला शाखा की अध्यक्ष निरा टोप्पो, सचिव विनय उरांव, आकाश उरांव, कंचन उरांव, गीता सुखवरो उरांव, निर्मल पाहन, प्रदीप लकड़ा, अमर तिर्की, पंचम तिर्की, दीनू उरांव, आकाश उरांव समेत अन्य लोग उपस्थित हुए.