ऑनलाइन क्लासेज बच्चोंं को कर रहा है बीमार
ज्यादातर बच्चोंं की आंखों में ड्राइनेस व सिर दर्द की हो रही है शिकायत
ज्यादा समय मोबाइल पर बिताने से अभिभावक भी परेशान
रांची: लॉकडाउन में बच्चों को व्यस्त रखने के लिए शुरू हुई ऑनलाइन पढ़ाई अभिभावकों व बच्चों और शिक्षकों सभी के लिए मुसीबत बन गई है. बच्चों का अधिकांश समय ऑनलाइन स्टडी के कारण मोबाइल व लैपटॉप पर गुजर रहा है. बच्चेे सारा दिन मोबाइल से चिपकेे रहतेे है. इस ऑनलाइन एजुकेशन बच्चों को बीमार करने लगा है. चिकित्सकों की मानें तो ऑनलाइन एजुकेशन जो कि मोबाइल स्क्रीन के जरिए हो रहा है उसने बच्चों की आंखों में होने वाली परेशानियां बढ़ा दी है. अब परेशानी यह भी है कि स्कूल व्हॉट्सएप और अन्य ऐप के जरिए न केवल क्लासेस लगा रहे हैं बल्कि बच्चों को प्रोजेक्ट, टेस्ट पेपर और असाइनमेंट्स भी दे रहे हैं. ऐसे में बच्चों का मोबाइल पर बहुत वक्त बीत रहा है. जिससे न केवल उनकी आंखों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है बल्कि बच्चों की मनोस्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. नतीजतन बच्चेेे बीमार हो रहे हैं.
बच्चों की आखों में ड्राइनेस और सिर दर्द की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं: डॉ दीपांकर
सदर अस्पताल के नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ दीपांकर ने बताया कि बच्चों की आंखों में ड्राइनेस और सिर दर्द की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं. ज्यादातर बच्चे कक्षा छह से लेकर 10 तक के हैं. कई माता पिता यह भी शिकायतें लेकर आ रहे हैं कि उनके बच्चे को आंखों से धुंधला दिख रहा है. सप्ता ह में 8 से 10 मामले आ रहे हैं. डॉ दीपांकर ने कहा कि कोविड-19 की वजह से माता-पिता अपने बच्चों को लाने में डर रहे हैं लेकिन, स्थिति सामान्य होने पर बीमार होने वाले बच्चोंय की संख्या बढ़ने की संभावना है.
क्या कहते हैं अभिभावक:
वर्द्धमान कंपाउंड निवासी आशीष कुमार का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेज को लेकर बच्चा लगातार मोबाइल लेकर बैठा रहता है. जिससे वो लगातार आंखों में दर्द होने की शिकायत करता है. सिर में भी दर्द रहता है. ऑनलाइन क्लालसेज के जरिये बच्चों का कंसन्ट्रेशन भी नहीं बन पाता है.
सरकुलर रोड निवासी मंटू कुमार ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं. उनका कहना है कि उनके बच्चे सुबह नौ बजे से ही मोबाइल लेकर बैठ जाता है. ऑनलाइन क्लास को लेकर खाना भी ठीक तरह से नहीं खा पाता है. कुछ दिनों पहले उसकी आंखों की जांच करवायी. उसकी आंखों में ड्राइनेस की शिकायत आ गयी है. डॉक्टर से जांच भी करवाया, दवा दे रहे हैं.
बच्चों में किस-किस तरह की शिकायतें आ रही हैं:
-आंखों में जलन होना
-आखों से धुंधलापन
-आंखों में ड्राइनेस
-सिर में लगातार दर्द होना
-आंखों में लालीपन आना
ऑनलाइन क्लामसेज के दौरान बच्चोंन की आंखों में हो रही परेशानियों पर क्या कहते हैं चिकित्सक:
अभी जो हालात है उसमें ऑनलाइन क्लासेज बढ़ गयी हैं. इस दौरान बच्चों की आंखों में भी परेशानियां नजर आने लगी हैं. बच्चों के आंखों में फटीग ऑय, रेडनेस, वाटरिंग जैसी समस्या आ रही हैं.
ज्यादातर मामले कौन से ऐज के ग्रुप के आ रहे हैं?
8 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों में इस तरह की ज्यादा समस्या आ रही है.
लॉकडाउन से पहले कितने मामले आते थे और अब कितने मामले आ रहे हैं?
लॉकडाउन लॉकडाउन से पहले भी बच्चे कंप्यूटर और मोबाइल में गेम खेलते थे लेकिन उतने मामले नहीं आते थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद ऑनलाइन क्लासेस की शुरुआत हो गई है जिससे बच्चे काफी देर स्क्रीन पर फोकस कर रहे हैं जिससे काफी समस्या हो रही है. अभिभावकों और शिक्षकों को भी इस पर ध्यान देने की जरूरत है. शिक्षकों को चाहिए कि क्लास एक समय सीमा तक ही लेना चाहिए और इस बीच अंतराल जरूरी है.
किस किस तरह की शिकायत आ रही है?
आँखों में ड्राईनेस जैसी कुछ समस्या आ रही जिससे इर्रिटेशन जैसे समस्या होगी और फिर बच्चे आँखों को मलेंगे जिससे इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है. इससे बच्चों के आंखों में फटीग ऑय, रेडनेस, वाटरिंग जैसी समस्या आ रही थी. इस तरह के मामले में मुख्यता समस्या उस वक्त आती है जब बच्चे एक तक स्क्रीन को देखते रहते हैं इसलिए जरूरी है कि बीच-बीच में आंखों को ब्लिंक करते रहें.
अभिभावक इसको लेकर कितने चिंतित दिखाई देते हैं?
अभिभावक इसको लेकर थोड़े पैनिक हैं, क्योंकि अभी के समय में स्कूल भेजना संभव नहीं है. लेकिन पैनिक होने की जरूरत नहीं है. कुछ-कुछ चीजें हैं जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. अगर आंखों में प्रॉब्लम हो रहा है तो बीच-बीच में बच्चे के आंखों की जांच करवाते रहें.
इससे कैसे बचा जा सके और क्या एहतियात बरता जा सकता है?
अगर बच्चे को पावर पहले से है तो और अगर उसे आँखों में समस्या हो रही है तो डॉक्टर से संपर्क कर लें. बीच बीच में आँखों में पानी के छींटे मारे जिससे की आँखों में नमी बनी रहे. अगर ऑनलाइन क्लासेस के वक़्त स्क्रीन पर देख रहे हैं तो बच्चों को बीच बीच में बोलें की 20 बीस फूट दूर देखने से आँखों के मांसपेशी को आराम मिलेगा.
ऑनलाइन क्लासेज को लेकर सावधानियां बरतें:
कोरोना का असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ा है. अब स्कूल में क्लासरूम की बजाय घर पर कंप्यूटर या लैपटॉप पर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. इस वजह से बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों और माता-पिता की आंखों पर कंप्यूसटर स्क्रीन की लाइट का बुरा असर पड़ रहा है. ऑनलाइल क्लास की वजह से बच्चों का स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है जिसकी वजह से कई पैरेंट्स की नींदें उड़ गई हैं. हालांकि, कुछ सावधानियां बरत कर आप अपने बच्चे की आंखों को प्रोटेक्ट कर सकते हैं.
कितना होना चाहिए स्क्रींन टाइम
बच्चों को दिनभर में 20 से 40 मिनट से ज्यादा देर तक कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल की स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए. एक बार में 20 मिनट से ज्यादा समय तक स्क्री्न न देखें. 3 से 5 साल के बच्चों को 3 बार में 20-20 मिनट कर के ऑनलाइन क्लास लेनी चाहिए. वहीं 5 से 15 साल के बच्चे पढ़ाई और एंटरटेनमेंट के लिए दिन में एक घंटा स्क्रींन पर बिता सकते हैं. 16 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए स्क्री न टाइम की कोई सीमा नहीं है लेकिन फिर भी इन्हें एहतियात बरतना जरूरी है. जिस कमरे में बच्चे टीवी, कंप्यू टर या फोन चला रहे हैं, वहां पर अच्छीे रोशनी होनी चाहिए ताकि आंखों पर दबाव न पड़े. मॉनिटर या स्क्री न की ब्राइटनेस को मध्यम रखें. अगर आप कम रोशनी में स्क्रीन पर देखते हैं तो इससे आंखों पर ज्यादा बुरा असर पड़ता है और इससे रेटिना के डैमेज होने का खतरा रहता है. बच्चाेें को 33 से.मी के स्मार्टफोन की बजाय 50 से.मी की स्क्रीन वाला लैपटॉप या टैबलेट दें.
कई बार बच्चे आंखों को स्क्रीन पर गड़ाकर रखते हैं और पलकें झपकाना भूल जाते हैं. इसकी वजह से आंखों से पानी आने, पलके झपकाने का पैटर्न खराब होने और आंखों को मसलने जैसी कुछ समस्याएं हो सकती हैं. आंखे न झपकाने की वजह से आंखों का पानी सूख सकता है. लगातार स्क्रीन पर देखना, आंखों के लिए नुकसानदायक होता है इसलिए थोड़ी-थोड़ी देर में ब्रेक लेते रहें. ये आंखों ही नहीं बल्कि शरीर के लिए भी अच्छा होता है. हर 20 मिनट के बाद 20 सेकंड का ब्रेक लेकर बच्चों को आंखों की एक्सरसाइज करने के लिए कहें. अगर 20 मिनट में क्लास खत्म नहीं हो सकती है तो जितना जल्दी हो सके क्लास के बाद ब्रेक लें.