नई दिल्लीः हमेशा अपने बेबाक टिप्पणी के लिए जाने जाने वाले भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बार रुपये की दशा को सुधकरने के लिए ट्वीट कर एक सलाह दी है जो सोशल मीडिया पर काफी चर्चे में है.
मध्य प्रदेश के खंडवा में पत्रकारों से बातचीत में स्वामी ने कहा कि वो नोट में धन की देवी लक्ष्मी की तस्वीर छापने के पक्ष में हैं.
Goddess Lakshmi on notes may improve condition of rupee: Subramanian Swamy https://t.co/s4QANQOf8v
— Subramanian Swamy (@Swamy39) January 15, 2020
पत्रकारों ने उनसे डॉलर के मुक़ाबले गिरते रुपये की हालत को लेकर सवाल किया था. स्वामी ने इंडोनेशिया के करेंसी नोट पर गणेशजी की फ़ोटो होने की बात कही साथ ही कहा “इस सवाल का जवाब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दे सकते हैं, लेकिन मैं इसके पक्ष में हूँ.
भगवान गणेश विघ्न दूर करते हैं. मैं तो कहूँगा कि देश की करेंसी को सुधारने के लिए लक्ष्मी की फ़ोटो लगाई जा सकती है, इस पर किसी को आपत्ति भी नहीं होगी.” स्वामी की इस सलाह के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई.
दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों की तरह भारत में भी करेंसी नोट जारी का अधिकार सिर्फ़ और सिर्फ़ भारतीय रिज़र्व बैंक को है. बतातें चलें कि एक रुपये का नोट भारत सरकार जारी करती है.
रुपये का इतिहास
भारत को 15 अगस्त 1947 को आज़ादी हासिल हुई थी, लेकिन देश गणतंत्र 26 जनवरी 1950 को बना था. इस दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक अब तक प्रचलित करेंसी नोट ही जारी करता रहा.
मुताबिक़ भारत सरकार ने पहली बार 1949 में एक रुपये के नोट का नया डिज़ाइन तैयार किया. अब आज़ाद भारत के लिए चिन्हों को चुना जाना था. शुरुआत में माना जा रहा था कि ब्रिटेन के महाराजा की जगह नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर लगेगी और इसके लिए डिज़ाइन भी तैयार कर लिए गए थे.
लेकिन आख़िर में सहमति इस बात पर बनी कि महात्मा गांधी की तस्वीर के बजाय करेंसी नोट पर अशोक स्तंभ छापा जाना चाहिए.
इसके अलावा करेंसी नोट के डिज़ाइन में बहुत अधिक बदलाव नहीं किए गए थे. साल 1950 में भारतीय गणराज्य में पहली बार दो, पाँच, 10 और 100 रुपये के नोट जारी किए गए.
दो, पाँच और 100 रुपये के नोट के डिज़ाइन में तो बहुत अधिक फ़र्क़ नहीं था, पर रंग बहुत अलग थे. 10 रुपये के नोट के पीछे पाल नौका की तस्वीर ज्यों की त्यों रखी गई थी.
साल 1953 में नए करेंसी नोटों पर हिंदी को प्रमुखता से छापा गया. चर्चा रुपया के बहुवचन को लेकर भी हुई और तय किया गया कि इसका बहुवचन रुपये होगा. साल 1954 में एक हज़ार, दो हज़ार और 10 हज़ार रुपये के नोट फिर से जारी किए गए.
साल 1978 में इन्हें फिर व्यवस्था से बाहर कर दिया गया. यानी साल 1978 में एक हज़ार, पाँच हज़ार और 10 हज़ार रुपये की नोटबंदी हुई.
दो और पाँच रुपये के छोटे करेंसी नोटों पर शेर, हिरण आदि की तस्वीरें छपी थी, लेकिन साल 1975 में 100 रुपये के नोट पर कृषि आत्मनिर्भरता और चाय बागानों से पत्ती चुनने की तस्वीर नज़र आने लगी.
साल 1969 में महात्मा गांधी के 100वें जन्मदिन पर पहली बार करेंसी नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई. इसमें महात्मा गांधी को बैठे हुए दिखाया गया था और पृष्ठभूमि में था सेवाग्राम आश्रम.
साल 1972 में रिज़र्व बैंक ने पहली बार 20 रुपये का नोट जारी किया और इसके तीन साल बाद 1975 में 50 रुपये का नोट जारी किया गया.
1980 के दशक में नई सिरीज़ के नोट जारी किए गए. पुरानी तस्वीरें हटाकर इनकी जगह नई तस्वीरों ने ले ली. 2 रुपये के नोट पर विज्ञान और तकनीक से जुड़ी उपग्रह आर्यभट्ट की तस्वीर, एक रुपया के नोट पर तेल कुआं, पांच रुपये के नोट पर ट्रैक्टर से खेत जोतता किसान, 10 रुपये के नोट पर कोणार्क मंदिर का चक्र, मोर और शालीमार गार्डन की तस्वीर.
देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही थी और लोगों की ख़रीदारी की ताक़त में भी इज़ाफ़ा हो रहा था. लिहाज़ा रिज़र्व बैंक ने अक्टूबर 1987 में पहली बार 500 रुपये का नोट जारी किया और इस पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी.
वाटर मार्क में अशोक स्तंभ रखा गया. नए सुरक्षा फ़ीचर्स के साथ महात्मा गांधी सिरीज़ के करेंसी नोट साल 1996 में छापे गए. वाटरमार्क भी बदले गए थे और साथ ही ऐसे फ़ीचर भी शामिल किए गए जिनसे नेत्रहीन लोग भी इनकी पहचान आसानी से कर सकते थे. नौ अक्टूबर 2000 को एक हज़ार रुपये का नोट जारी किया गया.
भारतीय मुद्रा का दूसरा सबसे बड़ा सुधार नवंबर 2016 में किया गया. 8 नवंबर 2016 को महात्मा गांधी सिरीज़ के सभी 500 और 1000 रुपये के नोट अवैध घोषित कर दिए गए.इसके बाद 2000 रुपये का नया नोट जारी किया गया. इसमें भी महात्मा गांधी की तस्वीर छपी है.