एक बहुत ही मशहूर गाना है “वक्त ने किया क्या हंसी सितम हम रहे ना हम तुम रहे ना तुम”
वक्त सब कुछ बदल देता है और जैसे-जैसे वक्त बदलता है इंसान की फितरत भी बदलती जाती है वक्त को ना कोई रोक पाया है ना रोक पायेगा. चाह कर भी हम गुजरे हुए वक्त को वापस नहीं ला सकते.
जैसे कि हम सोचते हैं “काश” हम ऐसा कर लेते पर यह “काश’ हमेशा “काश” रह जाता है!
शायद इसलिए “कहते हैं काल करे सो आज कर आज करे सो अब पल में परलय होत है बहुरि करेगा कब”
यह कहानी एक ऐसे परिवार की कहानी है जिन्होंने वक्त की कद्र नहीं की और वक्त अपने पीछे बहुत सी बुराइयों को छोड़ गया. मम्मी के फूफा जी अपने गांव के जमींदार थे. धन दौलत रूपए पैसे की कमी नहीं थी मम्मी बताती हैं बोरियों में चांदी के सिक्के रूपए पैसे यूं ही आंगन में रखे रहते थे.
कहीं भी जाते अपनी पूरी टीम लेकर जाते नौकर चाकर सहित. शिकार करने का बहुत शौक था महीनों शिकार की खोज में बिताया करते. कहते हैं जहां पैसा होता है वहां बर्बादी भी होती है. पैसों धन और दौलत के चक्कर में उन्होंने किसी भी बच्चे को ठीक से पढ़ाया नहीं सबको रईसी की ऐसी आदत लगी कि एक गिलास पानी भी लेकर कोई भी नहीं पीता था.
जैसें जेसै बच्चे बड़े हो रहे थे वक्त भी करवट ले रहा था. फूफा नाना अपने आप में और हर समय टिप टॉप में रहते थे वक्त ने वक्त वक्त बदला और हमारे देश में जमींदारी की प्रथा खत्म हो गई, रखे हुए पैसों को कितने दिन तक चला पाते. बच्चों ने पढ़ाई लिखाई कि नहीं थी जो उन्हें कोई नौकरी मिलती. धीरे-धीरे खेत खलियान सब बिकने लगे,
सवाल था बच्चों का, आज उन्हें महसूस हो रहा था ‘काश “मैंने शिक्षा को महत्व दिया होता तो आज ऐसा नहीं होता पर अब सोचने से क्या होता है वक्त गुजर चुका था!
कहते हैं जिस घर के कोठी पर पहले हाथी घोड़ा खड़े रहते थे आज वह सुना हो गया था, जिस फूफा नाना जी के हवेली में लोग जाने से घबराते थे आज वही उनका मजाक उड़ाते थे. देखते देखते नाना जी की मृत्यु भी हो गई. जिस परिवार के लोगों को मजाल नहीं था कोई कुछ कह सके आज लोग उन पर हंस रहे थे. आज उनके पास बचा था तो केवल हवेली. अभी भाइयों ने कुछ काम तो किया नहीं था घर कैसे चलता फिरता खींचातानी होने लगी. अब घर में रोज लड़ाई झगड़े होने लगे देखते-देखते एक दिन हवेली भी बिक गई, भाइयों ने आपस में पैसों का बटवारा कर लिया. जिस हवेली में रोशनी ही रोशनी फैली हुई थी एक दिन ऐसा आया जहां अंधेरा ही अंधेरा छा गया था.
अचानक एक दिन हवेली ने होटल का रूप ले लिया था. आज उन्हें लग रहा था काश हमने हवा का रुख मोड़ लिया होता तो आज यह हवेली होटल नहीं हवेली ही रहती पर अब तो चिड़िया खेत चुग चुकी थी . अब कुछ नहीं हो सकता पर उनके बच्चों ने हिम्मत नहीं हारी और फिर से मेहनत करके इतना तो कमा लिया था कि अपने बच्चों को पढ़ाना लिखाना शुरू कर दिया.
उन्होंने अपने बाबूजी से यही सीख ली कि चाहे जितने भी धनी हो जाओ पढ़ाई का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए. धीरे-धीरे उनकी गाड़ी पटरी पर आने लगी थी अब सब भाइयों में जो दुश्मनी बढ़ गई थी वह खत्म होने लगी. एक वक्त ऐसा आया जब सब भाई आपस में मिलने लगे और सब साथ रहने लगे फिर से उन्होंने एक कोठी खरीद ली थी.
आज फिर से उस घर में रौनक आ गई थी
जो वक्त गुजर चुका था वह वापस नहीं ला सकते थे पर उन्होंने एक चीज हमेशा के लिए अपना लिया था कि पैसों का अनादर नहीं करना. वक्त के साथ-साथ शिक्षा भी बहुत जरूरी है. आज फिर से वह घर फल फूल गया. पर वह गुजरा वक्त “काश” बनकर उनके जीवन में शुल बन कर चुभती रहा…