रांची: लाॅकडाउन के दौरान बालू का व्यवसाय पूरी तरह बंद है. न तो बालू घाट चलाये जा रहे हैं और न ही बालू की ढुलाई हो रही है. 20 अप्रैल से लाॅकडाउन में दी गई ढ़ील में भी इसे शामिल नहीं किया गया है, जिसके कारण आज हजारों मजदूरों व ट्रक मालिकों के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है.
उक्त बातें रांची बालू ट्रक एसोसिएशन के सचिव दिलीप सिंह ने प्रेस बयान जारी कर कहा. उन्होंने कहा कि विगत 21 मार्च से व्यवसाय पूरी तरह बंद हैं और रांची जिला के लगभग एक हजार से भी अधिक बालू उठाव व ढुलाई कार्य में लगे वाहन मालिकों के घरों पर खड़े हैं.
इस स्थिति में जहां एक ओर बालू के रोजगार से जुड़े हजारों मजदूरों के सामने भुखमरी की स्थिति हो गई है. वहीं दूसरी ओर ट्रक व हाइवा मालिक भी बर्बादी की दहलीज पर खड़े हैं.
मार्च से काम बंद है और पुनः 10 जून के बाद बरसात के कारण काम बंद कर दिया जाता है, जो जनवरी तक प्रारंभ हो पाता है. ऐसी स्थिति में यदि पूरे साल काम बंद रखा जाए तो गाड़ियों की किस्त व सरकार को दी जाने वाली टैक्स, परमीट, प्रदूषण आदि के लिए भुगतान कैसे हो पायेगा.
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कार्य की अनुमती अवश्य दी गई है, लेकिन वह भी नहीं होने जैसा है. यदि शहरी क्षेत्रों में बालू की ढुलाई प्रारंभ नहीं की जा सकी तो यह बालू के व्यवसाय से जुड़े लोगों की हत्या करने जैसी होगी.
उन्होंने राज्य सरकार से गुहार लगाया है कि बालू व्यवसाय से जुड़े लेागों की ओर अपना ध्यान आकृष्ट करते हुए इसे चालू करने की दिशा में सकारात्मक कार्य करें, ताकि इस वर्ष के बचे अगले एक माह में ही व्यवसायी कुछ आमदनी कर अपना जिविकोपार्जन कर सकें.