नई दिल्ली: भारत और लक्जमबर्ग ने दो दशक बाद हुए शिखर सम्मेलन में वित्त क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने के लिए तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए है तथा व्यापारी और कारोबारी संबंधों को विस्तार देने के लिए और नए मौकों तलाश करने का संकल्प व्यक्त किया गया है.
एक संयुक्त बयान के मुताबिक डिजिटल शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके लक्जमबर्ग के समकक्ष जेवियर बेटेल ने सीमा पार से होने वाले आतंकवाद पर चिंता व्यक्त की तथा आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र में और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल जैसे मंचों पर वैश्विक प्रयासों का समर्थन करने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग की जरूरत पर सहमति जताई है.
दोनों पक्षों ने सीमा पार समेत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खतरे के प्रति गंभीर चिंता व्यक्त की है. बयान के मुताबिक दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की है. दोनों नेताओं ने कोविड- बाद के विश्व में भारत-लक्जमबर्ग के बीच के रिश्तों को मजबूत करने पर विचारों का आदान प्रदान किया है.
भारत और लक्जमबर्ग के बीच हुए समझौतों में, इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज और लक्जमबर्ग स्टॉक एक्सचेंज के बीच हुआ समझौता शामिल है जो वित्तीय सेवा उद्योग में सहयोग उपलब्ध कराएगा. इसी तरह के सहयोग के लिए भारतीय स्टेट बैंक और लक्जमबर्ग स्टॉक एक्सचेंज के बीच समझौता हुआ है.
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के इस तीसरे सबसे बड़े विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) देश से वित्तीय और डिजिटल तकनीक में सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया है. वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि लोकतंत्र, कानून का राज और स्वतंत्रता जैसे साझा आदर्शों ने दोनों देशों के संबंधों और आपसी सहयोग को मजबूती दी है.