विशाखापट्टनम: भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे आज विशाखापट्टनम में भारतीय नौसेना को आईएनएस कवरत्ती समर्पित करेंगे. यह एक एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शिप है. इसके शामिल होने से नौसेना की ताकत में उल्लेखनीय इजाफा होगा. नौसेना की तरफ से बयान जारी कर कहा गया है कि वॉरशिप, नेवी की बढ़ती हुई क्षमताओं की एक झलक है. इसे विशाखापट्टनम स्थित नेवल डॉकयार्ड में ही तैयार किया गया है.
आईएनएस कवरत्ती पूरी तरह से देश में निर्मित है. साल 2012 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था और इस वर्ष फरवरी में यह पूरा हो सका. इसे नेवी के डायरेक्टोरेट ऑफ नेवल डिजाइन की तरफ से तैयार किया गया है. आईएनएस कवरत्ती को प्रोजेक्ट 28 या कमरोता क्लास कोर्वट्स के तहत निर्मित किया गया है.
साल 2003 में प्रोजेक्ट 28 को मंजूरी दी गई थी और अब तक इस प्रोजेक्ट के तहत आईएनएस कमरोता, आईएनएस कदमत और आईएनएस किलतान को तैयार किया जा चुका है. आईएनएस कमरोता साल 2014 में, आईएनएस कदमत 2016 और आईएनएस किलतान 2017 में नेवी में कमीशंड हुआ था. एक नजर डालिए आईएनएस कवरत्ती की कुछ खास बातों पर.
1971 की वॉरशिप पर पड़ा नाम–
- आईएनएस कवरत्ती में 90 प्रतिशत तक स्वदेशी उपकरणों का प्रयोग हुआ है.
- इसमें प्रयोग कार्बन कम्पोजिट्स को भारतीय जहाज निर्माण सेक्टर में एक बड़ी उपलब्धि करार दिया गया है.
- वॉरशिप को नेवी ने ही डिजाइन किया है और कोलकाता के गार्डन रिसर्च शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) की तरफ से इसे तैयार किया गया.
- इस वॉरशिप में स्टेट-ऑफ-द-आर्ट हथियारों का प्रयोग हुआ है.
- वॉरशिप में लगा सेंसर दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाकर एक्शन तक ले सकता है.
- आईएनएस कवरत्ती को लंबे समय तक के लिए तैनात किया जा सकता है.
- इस वॉरशिप ने अपने सभी सी-ट्रायल पूर कर लिए हैं.
- इसमें लगे सभी सिस्टम को ऑनबोर्ड ही फिट किया गया है.
- यह वॉरशिप वर्तमान स्थिति में यूद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है.
- आईएनएस कवरत्ती का नाम इसकी ही पूर्ववर्ती वॉरशिप से लिया गया है.
- पुरानी आईएनएस कवरत्ती ने सन् 1971 में बांग्लादेश की आजादी के लिए युद्ध में हिस्सा लिया था.
- वह आईएनएस कवरत्ती एक अरनला क्लास की मिसाइल कोर्वट थी.