चंडीगढ़: केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में बुधवार को देश भर में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल रही, जिसका असर पंजाब-हरियाणा और चंडीगढ़ में भी देखने को मिला. हड़ताल में 10 प्रमुख श्रमिक संघों के आह्वान पर करीब 25 करोड़ लोग हड़ताल में शामिल हो रहे हैं. इससे जरूरी सेवाओं और सरकारी महकमों में कामकाज प्रभावित हुआ.
हरियाणा में रोडवेज की यूनियनें भी हड़ताल में शामिल रहीं, जिससे बस सेवाओं पर असर पड़ा. श्रमिकों ने अपने कार्यालयों के बाहर धरने प्रदर्शन किए. लेकिन रोडवेज की बसें सुचारू रूप में चलीं. सिरसा, भिवानी, नारनौल और झज्जर में बसें सड़कों पर दौड़ीं. शांति बनाए रखने के मद्देनजर बस स्टैंड पर पुलिस बल तैनात रहा.
बता दें कि हड़ताल में सरकारी विभागों, बोर्ड, निगमों, विश्वविद्यालयों, नगर निगमों, परिषदों, पालिकाओं, पंचायती राज संस्थाओं, पंचायत समितियों, सहकारी समितियों, केंद्र व राज्य सरकार से संचालित परियोजनाओं में कार्यरत सभी कर्मचारी शामिल हुए.
मजदूर संगठनों और कारखानों व असंगठित क्षेत्र के श्रमिक भी इस देशव्यापी हड़ताल में शामिल हुए. अखिल भारतीय किसान सभा सहित कई किसान संगठनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया. कई छात्र संगठनों ने भी इस हड़ताल में श्रमिक संघों का साथ दिया.
दस किसान संगठन करेंगे चक्का जाम
किसान संगठन पंजाब में बुधवार दोपहर एक से तीन बजे तक पूरे राज्य में सड़कों पर जाम लगाएंगे. वहीं, दो जगह रेल मार्ग भी जा करेंगे. सड़क जाम के दौरान सिर्फ विद्यार्थियों और टीचरों के वाहन और एंबुलेंस को ही जाने की इजाजत दी जाएगी. वाम दलों और मजदूर संगठनों ने आठ जनवरी को देशव्यापी बंद की कॉल दी है.
उनका दावा है कि इसमें देश भर के करीब 25 करोड़ लोग हिस्सा लेंगे. पंजाब के दस किसान संगठनों ने भी इसमें शामिल होने का एलान किया है. इनमें ज्यादा वामपंथी झुकाव वाले संगठन हैं. चक्का जाम के चलते गांवों से अनाज, दूध, सब्जी, चारा आदि बाहर नहीं जाने दिया जाएगा.
क्रांतिकारी किसान यूनियन के डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि मानसा और अमृतसर में दो घंटे के लिए रेल मार्ग जाम किया जाएगा. जबकि, सड़कों का चक्का जाम पूरे पंजाब में होगा. पटियाला और संगरूर में ही छह-छह जगह जाम की योजना है. दो घंटे के लिए पंजाब की सड़कों पर आवाजाही पूरी तरह ठप की जाएगी.
संगठनों ने बैठकों, फ्लैग मार्च आदि के जरिए पहले ही गांवों के लोगों को बता दिया है कि आठ जनवरी को गांवों से कोई सामान बाहर नहीं जाएगा. मिल्क प्लांट, डेयरी यूनियनों को जागरूक किया है. बस ऑपरेटरों और मिनी बस ऑपरेटरों से कहा है कि वे गांवों में बसें न लेकर जाएं.
गांवों के लोग इसमें सहयोग कर रहे हैं। लेकिन किसान संगठनों के सदस्य दोपहर 11 बजे तक गांवों के बाहर रह कर निगरानी करेंगे कि कोई सामान बाहर न जाए. उसके बाद चक्का जाम में शामिल होंगे. संगठनों का आंदोलन किसानों के मुद्दों पर आधारित है.
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