रांची: आज का पंचांग, आपका दिन शुभ (मंगलमय) हो
- कलियुगाब्द….5122
- विक्रम संवत्…2077
- शक संवत्……1942
- मास……….आषाढ़
- पक्ष…………..शुक्ल
- तिथी……..एकादशी
संध्या 05.30 पर्यंत पश्चात द्वादशी
- रवि…… दक्षिणायन
- सूर्योदय..प्रातः 05.45.33 पर
- सूर्यास्त..संध्या 07.16.35 पर
- सूर्य राशि…….मिथुन
- चन्द्र राशि……..तुला
- गुरु राशि……..मकर
- नक्षत्र……….विशाखा
रात्रि 02.28 पर्यंत पश्चात अनुराधा
- योग……………सिद्ध
प्रातः 11.10 पर्यंत पश्चात साध्य
- करण……….वणिज
प्रातः 06.39 पर्यंत पश्चात विष्टि
- ऋतु…………ग्रीष्म
- दिन………..बुधवार
★★ आंग्ल मतानुसार :-
01 जुलाई सन 2020 ईस्वी .
★★ तिथि विशेष :-
◆◆ देवशयनी (हरिशयनी) एकादशी :-
◆◆ पद्मा (आषाढ़ शुक्ल) :-
◆◆ चातुर्मास प्रारम्भ :-
◆ पुराणों के अनुसार चार माह (श्रावण, भादौ, अश्विन एवं कार्तिक) के लिए विष्णु भगवान क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं. तीनों लोकों के स्वामी होने की वजह से भगवान का शयनकाल संपूर्ण संसार का शयनकाल माना जाता है.
देवशयनी या हरिशयनी एकादशी या देशज भाषा में देवसोनी ग्यारस आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है. चूँकि एकादशी व्रत भगवान विष्णु की आराधना का व्रत है, इसलिए देवसोनी व देवउठनी एकादशियों का विशेष महत्व है. आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक का चार माह का समय हरिशयन का काल समझा जाता है.
वर्षा के इन चार माहों का संयुक्त नाम चातुर्मास्य दिया गया है. इसके दौरान जितने भी पर्व, व्रत, उपवास, साधना, आराधना, जप-तप किए जाते हैं उनका विशाल स्वरूप एक शब्द में *’चातुर्मास्य’ कहलाता है.* चातुर्मास से चार मास के समय का बोध होता है और चातुर्मास्य से इस समय के दौरान किए गए सभी व्रतों/ पर्वों का समग्र बोध होता है.
पुराणों में इस चौमासे का विशेष रूप से वर्णन किया गया है. भागवत में इन चार माहों की तपस्या को एक यज्ञ की संज्ञा दी गई है. वराह पुराण में इस व्रत के बारे में कुछ उदारवादी बातें भी बताई गई हैं.
उदाहरण के लिए, इस व्रत को आषाढ़ शुक्ल एकादशी के स्थान पर द्वादशी (बारस) या आषाढ़ी पूर्णिमा से भी शुरू किया जा सकता है और चार माह पूर्ण करने के लिए इसका समापन उधर कार्तिक शुक्ल द्वादशी या कार्तिक पूर्णिमा तक किया जा सकता है.
संभवतः यह दृष्टिकोण इसलिए समाहित किया गया होगा क्योंकि यात्रा के दौरान किसी निश्चित स्थान पर पहुँचने में विलंब हो सकता है. उस युग में आज की तरह यात्रा के साधन नहीं थे, इसलिए यह विचार शुमार किया गया होगा. चूँकि चौमासे के व्रत में एक ही स्थान पर रहना आवश्यक है, इसलिए इस परिप्रेक्ष्य में उपरोक्त तथ्य सारगर्भित लगता है.
शास्त्रों व पुराणों में इन चार माहों के लिए कुछ विशिष्ट नियम बताए गए हैं. इसमें चार महीनों तक अपनी रुचि व अभीष्ठानुसार नित्य व्यवहार की वस्तुएँ त्यागना पड़ती हैं. कई लोग खाने में अपने सबसे प्रिय व्यंजन का इन माहों में त्याग कर देते हैं. चूँकि यह विष्णु व्रत है, इसलिए चार माहों तक सोते-जागते, उठते-बैठते *’ॐ नमो नारायणाय’ के जप की अनुशंसा की गई है.*
इन चार माहों के दौरान शादी-विवाह, उपनयन संस्कार व अन्य मंगल कार्य वर्जित बताए गए हैं. पुराणों के अनुसार चार माहों के लिए विष्णु भगवान क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं. तीनों लोकों के स्वामी होने की वजह से भगवान का शयनकाल संपूर्ण संसार का शयनकाल माना जाता है. चार मास की अवधि के पश्चात देवोत्थान एकादशी को भगवान जागते हैं.
★★ राहुकाल :-
दोपहर 12.30 से 02.10 तक .
★★ दिशाशूल :-
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो तिल का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें .
★ शुभ अंक……….2
★ शुभ रंग………हरा
★★ चौघड़िया :
प्रात: 05.48 से 07.29 तक लाभ
प्रात: 07.29 से 09.09 तक अमृत
प्रात: 10.49 से 12.29 तक शुभ
दोप 03.50 से 05.30 तक चंचल
सायं 05.30 से 07.10 तक लाभ
रात्रि 08.30 से 09.50 तक शुभ .
★★ आज का मंत्र :-
|| ॐ हेरम्बाय नम: ||
★★ सुभाषितानि :-
अकृत्वा परसन्तापं अगत्वा खलमन्दिरम् .
अक्लेशयित्वा चात्मानं यदल्पमपि तद्भहु ॥
◆ अर्थात :- अन्य को संताप दिये बगैर, खलपुरुष के घर गये बगैर (लाचारी किये बगैर) और स्वयं को अति कष्ट दिये बगैर जो थोडा भी मिले उसे काफी समज लेना चाहिए .
★★ आरोग्यं :-
◆◆ हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के उपाय :
◆ इलायची :- इलायची के स्वास्थ्य प्रभावों की जांच के एक अध्ययन में पाया गया कि कई महीनों तक दैनिक इलायची लेने के बाद मरीजों के ब्लड प्रेशर रीडिंग में महत्वपूर्ण कमी देखी गई. आप इलायची के बीज या मसाले को, सूप और स्टॉज में और एक विशेष स्वाद के लिए बेकरी के सामान में, सकारात्मक स्वास्थ्य लाभ के लिए शामिल कर सकते हैं.
◆ तुलसी :- तुलसी तनाव से संबंधित हाई ब्लड प्रेशर को कम कर सकती है और इसे रोजाना लिया जा सकता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम किया जा सकता है. अपने आहार में ताजी तुलसी शामिल करना चाहिए. तुलसी के ताजा पत्तों को सूप, सलाद और पुलाव के साथ खाया जा सकता हैं.
◆ लहसुन :- लहसुन में आपके ब्लड वेसल्स को आराम और फ़ैलाने जैसी शक्तियां शामिल है, जो आपके ब्लड प्रेशर को कम करने में सहायक होती है. इससे रक्त प्रवाह आसानी से होता है और यह ब्लड प्रेशर को कम कर देता है. आप अपने पसंदीदा व्यंजनों में ताजा लहसुन को भून कर डाल सकते हैं.