रांची: आज का पंचांग, आपका दिन शुभ (मंगलमय) हो
- देवझूलनी एकादशी की बधाई●
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- कलियुगाब्द…..5122
- विक्रम संवत्….2077
- शक संवत्…….1942
- मास……..भाद्रपद
- पक्ष…………शुक्ल
- तिथी…….एकादशी
प्रातः 08.18 पर्यंत पश्चात द्वादशी
- रवि……दक्षिणायन
- सूर्योदय..प्रातः 06.08.50 पर
- सूर्यास्त..संध्या 06.46.24 पर
- सूर्य राशि……..सिंह
- चन्द्र राशि……..धनु
- गुरु राशी………धनु
- नक्षत्र…….पूर्वाषाढ़ा
दोप 12.57 पर्यंत पश्चात उत्तराषाढ़ा
- योग……..आयुष्मान
दोप 02.52 पर्यंत पश्चात सौभाग्य
- करण………….विष्टि
प्रातः 08.18 पर्यंत पश्चात बव
- ऋतु…………….वर्षा
- दिन…………..शनिवार
★★ आंग्ल मतानुसार :-
29 अगस्त सन 2020 ईस्वी .
★★ तिथी विशेष :-
- देवझूलनी (पद्मा/परिवर्तिनी/वामन) एकादशी :- भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष एकादशी को पद्मा एकादशी कहा जाता है. इस तिथि पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख, सौभाग्य में तेजी से वृद्धि होती है. इस दिन माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र धोए थे. इसी कारण से इस एकादशी को ‘जलझूलनी एकादशी’ भी कहा जाता है. मंदिरों में इस दिन भगवान विष्णु को पालकी में बिठाकर शोभा यात्रा निकाली जाती है. भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराया जाता है . इस तिथि को व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है. पापियों के पाप नाश के लिए इससे बढ़कर कोई उपाय नहीं है. जो मनुष्य इस एकादशी को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उससे तीनों लोक पूज्य होते हैं. इस व्रत के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर से कहा है कि- “जो इस दिन कमल नयन भगवान का कमल से पूजन करते हैं, वे अवश्य भगवान के समीप जाते हैं. जिसने भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी को व्रत और पूजन किया,उसने ब्रह्मा, विष्णु, सहित तीनों लोकों का पूजन किया. अत: हरिवासर अर्थात एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए.” इस दिन भगवान करवट लेते हैं, इसलिए इसको ‘परिवर्तिनी एकादशी’ भी कहा जाता है.
- परिवर्तिनी एकादशी पूजा विधि : – एकादशी वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर एकादशी व्रत करने का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु की आराधना करें और उनकी मूर्ति के समक्ष घी का दीपक जलाएं. पूजा में तुलसी और ऋतु फलों का प्रयोग करें. व्रत वाले दिन मन में अच्छे विचार रखें और दान जरूर करें. इस दिन दान करने का बड़ा महत्व होता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन अन्न का दान अवश्य करना चाहिए. अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत खोल लें.
★ शुभ अंक……….3
★ शुभ रंग………..हरा
★★ अभिजीत मुहूर्त :-
दोप 12.02 से 12.52 तक .
★★ राहुकाल :-
प्रात: 09.19 से 10.53 तक .
★★ दिशाशूल :-
पूर्वदिशा – यदि आवश्यक हो तो अदरक या उड़द का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें .
★★ चौघडिया :-
प्रात: 07.45 से 09.18 तक शुभ
दोप. 12.26 से 02.00 तक चर
दोप. 02.00 से 03.34 तक लाभ
दोप. 03.34 से 05.08 तक अमृत
संध्या 06.42 से 08.०८ तक लाभ
रात्रि 09.34 से 11.00 तक शुभ .
★★ आज का मंत्र :-
|| ॐ सर्वनेत्राधिवासाय नम: ||
★★ सुभाषितानि –
नलिकागतमपि कुटिलं न भवति सरलं शुनः पृच्छम् .
तद्वत् खलजनहृदयं बोधितमपि नैव याति माधुर्यम् ॥
◆ अर्थात :- नली में रखी हुई कूत्ते की पूंछ सीधी नहीं हो जाती; ठीक उसी तरह बोध देने से दृष्ट का हृदय मधुर नहीं बन जाता .
★★ आरोग्यं सलाह :-
◆◆ त्वचा पर मस्से के घरेलु इलाज :-
◆ खट्टे सेब का रस रोजाना तीन चार बार मस्से पर लगाएं. महीने भर इसके लगाने से मस्से ठीक हो जाते है.
◆ अरंडी के तेल ( Castor Oil ) में बेकिंग सोडा मिलाकर रोजाना रात को सोते समय Warts पर लगाये . कुछ दिनों में फर्क नजर आने लगेगा.
◆ लहसुन को काट कर इसे मस्से पर नियमित कुछ दिन सुबह शाम घिसने से मस्सा सूख जाता है. लहसुन को मोटा कूटकर मस्से पर बांधने से भी ये ठीक होते है.
◆ रात को सोते समय प्याज को बारीक पीस कर वार्ट्स पर लगाने से कुछ दिन में ये सूखने लगते है.
◆ ताजा ग्वारपाठा ( Aloe Vera ) को काट कर उसका रस कुछ दिन नियमित लगाने से मस्से ठीक हो जाते है.
- (यदि मस्सा किसी ऐसे स्थान पर है जहाँ की त्वचा ज्यादा संवेदनशील नहीं है तो नेल पोलिश लगाकर 3-4 दिन में मस्सा गिराया जा सकता है . संवेदनशील स्थानों पर प्रयोग ना करे.)