★ आज का पंचांग ★
●कलियुगाब्द….5122
●विक्रम संवत्…2077
●शक संवत्……1942
●रवि……दक्षिणायन
●मास………भाद्रपद
●पक्ष…………शुक्ल
●तिथी…….चतुर्दशी
प्रातः 09.40 पर्यंत पश्चात पुर्णिमा
●सूर्योदय..प्रातः 06.09.59 पर
●सूर्यास्त..संध्या 06.44.26 पर
●सूर्य राशि………सिंह
●चन्द्र राशि…..कुम्भ
●गुरु राशि……..धनु
●नक्षत्र……….धनिष्ठा
दोप 04.31 पर्यंत पश्चात शतभिषा
●योग…………अतिगंड
दोप 01.03 पर्यंत पश्चात सुकर्मा
●करण………..वणिज
प्रातः 09.40 पर्यंत पश्चात विष्टि
●ऋतु…………….वर्षा
●दिन………….मंगलवार
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★★ आंग्ल मतानुसार :-
01 सितम्बर सन 2020 ईस्वी
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★★ अनंत चतुर्दशी :-
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाता है. जिसका मतलब होता है कि जिसका कोई अंत न हो. इस दिन अनंत के रूप में हरि की पूजा होती है. पुरुष दाएं तथा स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत धारण करती हैं. विष्णुजी के साथ गणपति का पूजन विशेष शुभ फल देता है. मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सर्वस्व हार गए और वे वनवास के दौरान जंगलों में भटक रहे थे तो श्रीकृष्ण ने उन्हें सलाह दी कि अनंत चतुर्दशी का व्रत करें.
इसके शुभ प्रभाव से पांडव पुनः शक्तिशाली हुए, युद्ध में उनकी विजय हुई और उनके सभी कष्टों का निवारण हो गया. आज ही 10 दिवसीय गणेश उत्सव का समापन एवं गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है .
★ पितृ पक्ष प्रारंभ (पूर्णिमा श्राद्ध) :-
पितृपक्ष भी आज ही से प्रारंभ हो रहा है, श्राद्ध कर्म करने का समय कुतप वेला (11.36 से 12.24) रहता है, आज पूर्णिमा तिथि प्रातः 09.40 पर्यंत रहेगी पश्चात पूर्णिमा तिथि व्याप्त होगी, कुतप वेला पूर्णिमा व्यापिनी होने के कारण पूर्णिमा का श्राद्ध आज ही किया जाएगा . पंचांग भेद एवं लोकरीति अनुसार यदि आप अनंत व्रत और उद्यापन करना चाहते है तथा उदयव्यापिनी तिथि विचार करते है तो आप कल 2 सितम्बर को पूर्णिमा श्राद्ध कर सकते है.
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★ शुभ अंक……..1
★ शुभ रंग……..सफ़ेद
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★★ अभिजीत मुहूर्त :-
दोप 12.01 से 12.51 तक
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★★ राहुकाल :-
दोप 03.33 से 05.06 तक
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★★ दिशाशूल :-
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें
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★★ चौघडिया :-
प्रात: 09.18 से 10.52 तक चंचल
प्रात: 10.52 से 12.25 तक लाभ
दोप. 12.25 से 01.59 तक अमृत
रात्रि 08.05 से 09.32 तक लाभ
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★★ आज का मंत्र :-
।। ॐ गिरीन्द्रैकरदाय नमः ।।
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★★ सुभाषितानि :-
निर्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत् ।
खगा वीतफलं वृक्षं भुक्ता अभ्यागता गृहम् ॥
◆ अर्थात :- वेश्या निर्धन पुरुष का, प्रजा पदभ्रष्ट राजा का, पंछी फलरहित वृक्ष का, और खाने के पश्चात् महेमान घर का त्याग करते हैं (अर्थात् स्वार्थसिद्धि के बाद सब चले जाते हैं)
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★★ आरोग्यं :-
◆◆ गले की खराश एवं दर्द से निजात पाने के घरेलू उपाय :-
◆ 01. गरम पानी और नमक के गरारे :- जब गले में खराश होती है तो सांस झिल्ली की कोशिकाओं में सूजन हो जाती है. नमक इस सूजन को कम करता है जिससे दर्द में राहत मिलती है. उपचार के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में एक बड़ा चम्मच नमक मिलाकर घोल लें और इस पानी से गरारे करें. इस प्रक्रिया को दिन में तीन बार करें.
◆ 02. लहसुन :- लहसुन इंफेक्शन पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है. इसलिए गले की खराश में लहसुन बेहद फायदेमंद है. लहसुन में मौजूद एलीसिन जीवाणुओं को मारने के साथ ही गले की सूजन और दर्द को भी कम करता है. उपचार के लिए गालों के दोनों तरफ लहसुन की एक एक कली रखकर धीरे धीरे चूसते रहें. जैसे जैसे लहसुन का रस गले में जाएगा वैसे वैसे आराम मिलता रहेगा.
◆ 03. भाप लेना :- कई बार गले के सूखने के कारण भी गले में इंफेक्शन की शिकायत होती है. ऐसे में किसी बड़े बर्तन में गरम पानी करके तौलिया से मुंह ढककर भाप लें. ऐसा करने से भी गले की सिकाई होगी और गले का इंफेक्शन भी खत्म होगा. इस क्रिया को दिन में दो बार किया जा सकता है.