रांची: आज का पंचांग, आपका दिन शुभ (मंगलमय) हो.
●कलियुगाब्द….5121
●विक्रम संवत्…2076
●शक संवत्……1941
●मास………..चैत्र
●पक्ष………..कृष्ण
●तिथी…….द्वादशी
दुसरे दिन प्रातः 07.56 पर्यंत पश्चात त्रयोदशी
●रवि……उत्तरायण
●सूर्योदय..प्रातः 06.30.12 पर
●सूर्यास्त..संध्या 06.38.24 पर
●सूर्य राशि…….मीन
●चन्द्र राशि……मकर
●नक्षत्र…………श्रवण
दोप 04.58 पर्यंत पश्चात धनिष्ठा
●योग……………..शिव
प्रातः 11.45 पर्यंत पश्चात सिद्ध
●करण………….कौलव
संध्या 06.58 पर्यंत पश्चात तैतिल
●ऋतु……………बसंत
●दिन……………शुक्रवार
आंग्ल मतानुसार :-
20 मार्च सन 2020 ईस्वी ।
तिथि विशेष :-
पापमोचिनी एकादशी :-
चैत्र कृष्ण एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा गया है. इस व्रत को करने से मनुष्य जहां विष्णु पद को प्राप्त करता है वहीं उसके समस्त कलुष समाप्त होकर निर्मल मन में श्री हरि का वास हो जाता है. यह व्रत चैत्रादि सभी महीनों के शुक्ल और कृष्ण दोनों पक्षों में किया जाता है. फल दोनों का ही समान है. शुक्ल और कृष्ण में कोई विशेषता नहीं है.
जिस प्रकार शिव और विष्णु दोनों आराध्य हैं, उसी प्रकार कृष्ण और शुक्ल दोनों पक्षों का एकादशी उपोष्य है. विशेषता यह है कि पुत्रवान गृहस्थ शुक्ल एकादशी और वानप्रस्थ तथा विधवा दोनों का व्रत करें तो उत्तम होता है. इसमें शैव और वैष्णव का भेद भी आवश्यक नहीं क्योंकि जो जीवमात्र को समान समझे, निजाचार में रत रहे और अपने प्रत्येक कार्य को विष्णु और शिव को अर्पण करता रहे. वही शैव और वैष्णव होता है.
अतः दोनों के श्रेष्ठ बर्ताव एक होने से शैव और वैष्णवों में अपने आप ही अभेद हो जाता है. इस सर्वोत्कृष्ट प्रभाव के कारण ही शास्त्रों में एकादशी का महत्व अधिक माना गया है.
शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी का उपवास 80 वर्ष की आयु होने तक करते रहना चाहिए. किंतु असमर्थ व्यक्ति को उद्यापन कर देना चाहिए जिसमें सर्वतोभद्र मण्डल पर सुवर्णादि का कलश स्थापन करके उस पर भगवान की स्वर्णमयी मूर्ति का शास्त्रोंक्त विधि से पूजन करें. घी, तिल, खीर और मेवा आदि से हवन करें. दूसरे दिन द्वादशी को प्रातः स्नान के पीछे गोदान, अन्नदान, शय्यादान, भूयसी आदि देकर और ब्राह्मण भोजन कराकर स्वयं भोजन करें. ब्राह्मण भोजन के लिए 26 द्विजदंपतियों को सात्विक पदार्थों का भोजन कर सुपूजित और वस्त्रादि से भूषित 26 कलश दें.
चैत्र कृष्ण एकादशी पापमोचिनी है. यह पापों से मुक्त करती है. च्यवन ऋषि के उत्कृष्ट तपस्वी पुत्र मेधावी ने मंजुघोषा के संसर्ग से अपना संपूर्ण तप-तेज खो दिया था किंतु पिता ने उससे चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत करवाया. तब उसके प्रभाव से मेधावी के सब पाप नष्ट हो गए और वह पहले की तरह अपने धर्म-कर्म, सदनुष्ठान और तपस्या में संलग्न हो गया. ऐसी पवित्रता पूर्ण पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाकर मनुष्य मोक्ष प्राप्ति की ओर बढ़ता है.
★ शुभ अंक………….2
★ शुभ रंग……आसमानी
अभिजीत मुहूर्त :-
दोप 12.10 से 12.58 तक ।
राहुकाल (अशुभ) :-
प्रात: 11.04 से 12.34 तक ।
दिशाशूल :-
पश्चिम दिशा – यदि आवश्यक हो तो जौ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें.
चौघड़िया :-
प्रात: 08.03 से 09.33 तक लाभ
प्रात: 09.33 से 11.03 तक अमृत
दोप. 12.33 से 02.03 तक शुभ
सायं 05.03 से 06.33 तक चंचल
रात्रि 09.33 से 11.03 तक लाभ ।
आज का मंत्र :-
|| ॐ घृतप्रदाय नमः ||
सुभाषितानि :-
परोपकारशून्यस्य धिक् मनुष्यस्य जीवितम् ।
जीवन्तु पशवो येषां चर्माप्युपकरिष्यति ॥
अर्थात :- परोपकार रहित मानव के जीवन को धिक्कार है । वे पशु धन्य है, मरने के बाद जिनका चमडा भी उपयोग में आता है ।
आरोग्यं सलाह :-
अदरक के लाभ :-
1. हृदय रोग :- अदरक का रस तथा शहद, दोनों को मिलाकर नित्य उंगली से धीरे-धीरे चाटें. दोनों की मात्रा आधा-आधा चम्मच होनी चाहिए. इससे हृदय रोग में लाभ मिलता है.अदरक का रस और पानी सममात्रा में मिलाकर सेवन करने से हृदय रोग मिटता है.
2. मस्सा और तिल :- अदरक के एक छोटे से टुकड़े को काटकर छील लें और उसकी नोक बना लें. फिर मस्से पर थोड़ा सा चूना लगाकर अदरक की नोक से धीरे-धीरे घिसने से मस्सा बिना किसी आप्रेशन के कट जायेगा और त्वचा पर कोई निशान भी नहीं पडे़गा. बस शुरू में थोड़ी सी सूजन आयेगी.