रांची: आज का पंचांग, आपका दिन शुभ मंगलमय हो.
● रामनवमी की बधाई ●
●कलियुगाब्द…..5122
●विक्रम संवत्….2077
●शक संवत्…….1942
●मास………….चैत्र
●पक्ष………….शुक्ल
●तिथी……….नवमी
रात्रि 02.40 पर्यंत पश्चात दशमी
●रवि……..उत्तरायण
●सूर्योदय..प्रातः 06.18.24 पर
●सूर्यास्त..संध्या 06.42.36 पर
●सूर्य राशि……..मीन
●चन्द्र राशि…..मिथुन
●नक्षत्र……….पुनर्वसु
संध्या 07.20 पर्यंत पश्चात पुष्य
●योग……….अतिगंड
दोप 03.14 पर्यंत पश्चात सुकर्मा
●करण………..बालव
दोप 03.12 पर्यंत पश्चात कौलव
●ऋतु…………बसंत
●दिन…………गुरुवार
आंग्ल मतानुसार :-
02 अप्रैल सन 2020 ईस्वी ।
तिथि विशेष :-
◆◆ चैत्र शुक्ल नवमी (श्री राम प्रकटोत्सव) :-
◆ नौमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक बिश्रामा।।
राम जन्म के दिन पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में स्थापित थे, नौमी तिथि चैत्र शुक्लपक्ष तथा पुनर्वसु नक्षत्र था. जिसके अनुसार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था.
वाल्मीकिजी तथा बाबा तुलसीदास नें अपने ग्रंथों में लिखा है कि रामजन्म मध्यान्ह में हुआ था.
पौराणिक कथानुसार राम नवमी के ही दिन त्रेता युग में महाराज दशरथ के घर विष्णु जी के अवतार भगवान राम का प्राकट्य हुआ था. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म रावण के अंत के लिए हुआ था. श्रीराम को लोग उनके सुशासन, मर्यादित व्यवहार और सदाचार युक्त शासन के लिए याद करते हैं. उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में राम नवमी का त्यौहार पूरे हर्षोत्साह के साथ मनाया जाता है.
‘भए प्रकट कृपाला, दीन दयाला, कौशल्या हितकारी ।
हरषित मतहारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप विचारी ।’
राम ईश्वर के अंश हैं. मनु ने शतरूपा से घोर तप पाने का वरदान पाया था. मनु को दशरथ और शतरूपा को कौशल्या माना गया. अपने बाल्यकाल की लीलाओं से भक्तों को आनंदित करते हुए भगवान राम ने ‘आचार्य देवो भव, मातृ देवो भव, पितृ देवो भव’ का क्रियात्मक रूप से पालन किया. उनका यह पावन चरित्र-‘प्रातः काल के रघुनाथा, मातु-पिता गुरु नावहि माथा।’ नयी पीढ़ी को बड़ों का सत्कार करने की, मर्यादित आचरण की प्रेरणा देता है.
अभिजीत मुहूर्त :-
दोप 12.05 से 12.54 तक ।
राहुकाल :-
दोपहर 02.02 से 03.34 तक ।
दिशाशूल :-
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें.
★ शुभ अंक………….2
★ शुभ रंग………..पीला
चौघड़िया :-
प्रात: 10.57 से 12.29 तक चंचल
दोप. 12.29 से 02.01 तक लाभ
सायं 05.06 से 06.38 तक शुभ
सायं 06.38 से 08.05 तक अमृत
रात्रि 08.05 से 09.38 तक चंचल |
आज का मंत्र :-
।। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम: ।।
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः।
श्रद्धा सतां कुलजन प्रभवस्य लज्जा तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम्।।
सुभाषितम् (राजधर्म) :-
सहसा विदधीत न क्रियाम्
अविवेकः परमापदां पदम् ।
वृणुते हि विमृश्यकारिणम्
गुण लुब्धाः स्वयमेव हि संपदः ॥
◆ अर्थात :- बिना सोचे कोई काम नहीं करना चाहिए, क्यों कि अविवेक यह आपत्तिका मूल है । गुण पर लब्ध होनेवाला वैभव खुद भी सोचकर मानवको पसंद करता है.
आरोग्यं :-
●● बेल के औषधीय गुण :-
● 1. बेल के पत्तों को सुखाकर जलाने से घरों में मक्खी, मच्छर नहीं आते.
● 2. बेल को कांजी में डालकर सेवन करने से आमवात रोग में बहुत फायदा होता है.
● 3. बेल के पत्तों के रस का सेवन करने से अम्लपित्त के कारण उत्पन्न गले के विकार दूर होते हैं.
● 4. तेज बुखार होने पर बेल का रस सिर पर लगाने से बुखार कम होता है, रोगी को बहुत शांति मिलती है.
● 5. शरीर के किसी भाग में सूजन होने पर बेल के पत्तों का रस से लेप करने से सूजन कम होता है.