रांची: आज का पंचांग, आपका दिन शुभ (मंगलमय) हो.
●कलियुगाब्द….5122
●विक्रम संवत्…2077
●शक संवत्……1942
●मास……..बैशाख
●पक्ष………..शुक्ल
●तिथी…….तृतीया
दोप 01.21 पर्यंत पश्चात चतुर्थी
●रवि……..उत्तरायण
●सूर्योदय..प्रातः 05.57.40 पर
●सूर्यास्त..संध्या 06.52.49 पर
●सूर्य राशि……मेष
●चन्द्र राशि….वृषभ
●नक्षत्र……..रोहिणी
रात्रि 10.52 पर्यंत पश्चात मृगशीर्ष
●योग………..शोभन
रात्रि 11.50 पर्यंत पश्चात अतिगंड
●करण………….गरज
दोप 01.21 पर्यंत पश्चात वणिज
●ऋतु…………..बसंत
●दिन……………रविवार
आंग्ल मतानुसार :-
26अप्रैल सन 2020 ईस्वी ।
तिथि विशेष :-
◆◆ अक्षय तृतीया (श्री परशुराम प्रकटोत्सव) :-
◆ मदनरत्न के अनुसार :-
“अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं। तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया॥
उद्दिष्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यैः। तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव॥
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है. इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है. भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था. ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था. इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं. प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं.
वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं. इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था. ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता. इस दिन से शादी-ब्याह करने की शुरुआत हो जाती है. बड़े-बुजुर्ग अपने पुत्र-पुत्रियों के लगन का मांगलिक कार्य आरंभ कर देते हैं. अनेक स्थानों पर छोटे बच्चे भी पूरी रीति-रिवाज के साथ अपने गुड्डा-गुड़िया का विवाह रचाते हैं. इस प्रकार गांवों में बच्चे सामाजिक कार्य व्यवहारों को स्वयं सीखते व आत्मसात करते हैं.
स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया. कोंकण और चिप्लून के परशुराम मंदिरों में इस तिथि को परशुराम जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. दक्षिण भारत में परशुराम जयंती को विशेष महत्व दिया जाता है. परशुराम जयंती होने के कारण इस तिथि में भगवान परशुराम के आविर्भाव की कथा भी सुनी जाती है. इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है. सौभाग्यवती स्त्रियां और क्वारी कन्याएं इस दिन गौरी-पूजा करके मिठाई, फल और भीगे हुए चने बांटती हैं, गौरी-पार्वती की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल, अन्न आदि लेकर दान करती हैं. मान्यता है कि इसी दिन जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय भृगुवंशी परशुराम का जन्म हुआ था.
एक कथा के अनुसार परशुराम की माता और विश्वामित्र की माता के पूजन के बाद प्रसाद देते समय ऋषि ने प्रसाद बदल कर दे दिया था. जिसके प्रभाव से परशुराम ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय स्वभाव के थे और क्षत्रिय पुत्र होने के बाद भी विश्वामित्र ब्रह्मर्षि कहलाए. उल्लेख है कि सीता स्वयंवर के समय परशुराम जी अपना धनुष बाण श्री राम को समर्पित कर संन्यासी का जीवन बिताने अन्यत्र चले गए. अपने साथ एक फरसा रखते थे तभी उनका नाम परशुराम पड़ा.
★ शुभ अंक…….8
★ शुभ रंग……नीला
अभिजीत मुहूर्त :-
दोप 11.35 से 12.26 तक ।
राहुकाल :-
संध्या 04.47 से 06.23 तक । ====================
दिशाशूल :-
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो दलिया, घी या पान का सेवनकर यात्रा प्रारंभ करें।
चौघडिया :-
प्रात: 07.14 से 08.49 तक चंचल
प्रात: 08.49 से 10.25 तक लाभ
प्रात: 10.25 से 12.00 तक अमृत
दोप. 01.36 से 03.11 तक शुभ
सायं 06.22 से 07.46 तक शुभ
संध्या 07.46 से 09.11 तक अमृत
रात्रि 09.11 से 10.35 तक चंचल ।
आज का मंत्रः
।। ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम: ।।
सुभाषितानि :-
सन्मित्राणां वर्धयते नृपाणां
लक्ष्मीः मही धर्म यशः समूहः ।
दुर्मन्त्रिणा नाशयते नृपाणां
लक्ष्मी मही धर्म यशः समूहः ॥
◆ अर्थात :- अच्छे मंत्री राजा की लक्ष्मी, भूमि, धर्म और यश बढाते हैं, जब कि बूरे मंत्री इन चारों का नाश करते हैं ।
आरोग्यं सलाह :-
◆◆ धनिये का पानी पीने के फायदे :-
◆ डायबिटीज से आराम :-धनिए को मधुमेह नाशी यानी कि डायबिटीज को दूर भगाने वाला माना जाता है. धनिया के बीज ब्लड शुगर को ग्लाइकोजन में बदलने में मदद कर सकता है. जब ब्लड शुगर ग्लाइकोजन में परिवर्तित होता है, उच्च ब्लड शुगर का स्तर सामान्य स्तर तक गिर सकता है. इसका पानी पीने से खून में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है.