धनबाद: पहले लाल झंडा ढ़ो रही थी. अब भगवा ओढ़ ली. भगवा ओढ़कर ही लाल झंडे को मात देने की कोशिश में लगी है. यह स्थिति है निरसा विधानसभा क्षेत्र की. यहां कभी फॉरवर्ड ब्लॉक की प्रदेश अध्यक्ष रहने वाली अभी भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में है. उसका मुकाबला मासस से है.
झारखंड-बंगाल की सीमा पर स्थित यह विधानसभा क्षेत्र धनबाद लोकसभा के अंतर्गत आता है. इस बार चुनावी मुकाबले को त्रिकोण बनाने में अन्य दल के प्रत्याशी भी लगे हैं. यहां बंगाली मतदाता के अलावा बिहारी और अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक वोटर्स माने जाते हैं. इस सीट पर चौथे चरण में 16 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे.
ये हैं उम्मीदवार
मासस से अरूप चटर्जी, भाजपा से अपर्णा सेनगुप्ता, झामुमो से अशोक मंडल, झाविमो से बांपी चक्रवर्ती, बसपा से बामापद बाउरी, फारवर्ड ब्लॉक से भागवत महतो, आरसीपी से उमेश गोस्वामी, पीपीआई से अवधेश कुमार दास.
ये रही है स्थिति
1951 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मजदूर नेता रामनारायण शर्मा चुनाव जीते. लगातार पांच बार यहां का प्रतिनिधित्व किया.
1990 में वामपंथी नेता गुरुदास चटर्जी ने पहली बार जीत दर्ज की. 1995 और 2000 में भी गुरुदास ही विधायक बनें.
वर्ष 2000 में गुरुदास चटर्जी की हत्या के बाद उनके पुत्र अरूप चटर्जी उपचुनाव लड़े और जीते. 2001 में फारवर्ड ब्लॉक नेता सुशांतो सेनगुप्ता की हत्या के बाद 2005 में उनकी पत्नी अपर्णा सेन गुप्ता ने जीत दर्ज की. इसके बाद 2009 और 2014 के चुनाव में अरूप चटर्जी ने जीत दर्ज की.