- तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट के लिए आबंटित कोल ब्लॉक केरेनडारी का आबंटन रद्द
- रिलायंस के पीछे हटने के बाद किसी भी निवेशक ने नहीं जताई इच्छा
- 24 हजार करोड़ रुपये का होना है निवेश
- कैसे दूर होगी बिजली की कमी, 2500 मेगावाट और बिजली की है जरूरत
रांचीः झारखंड में पावर प्लांट प्रोजेक्ट के लिए आबंटित दो कोल ब्लॉक का आबंटन रद्द कर दिया गया है. इसमें मौर्या कोल ब्लॉक और केरेनडारी कोल ब्लॉक शामिल हैं.
मौर्या कोल ब्लॉक तत्कालीन बिजली बोर्ड और केरेनडारी कोल ब्लॉक तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट के लिए आबंटित था.
मौर्या कोल ब्लॉक 26 जून 2009 को आबंटित हुआ था, इसके 10 साल बाद भी कोल ब्लॉक में काम शुरू नहीं हो पाया.
इस बीच कई सरकारें आईं और गईं. सबने झारखंड को पावर हब बनाने की बात की. लेकिन स्थिति जस की तस ही है. पावर प्रोजेक्ट की विभन्न योजनाओं में 56 हजार करोड़ रुपए का भी निवेश होना है.
तिलैया में 24 हजार करोड़ से भी अधिक का होना है निवेश
तिलैया में 4000 मेगावाट का पावर प्लांट स्थापित किया जाना है, जिसमें 24 हजार करोड़ से अधिक का निवेश होगा. लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है.
तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट में प्रोजेक्ट में देरी होने से 16 हजार करोड़ रुपये लागत भी बढ़ गई. मुख्य प्लांट के लिये 470 एकड़ जमीन रिलायंस को दी जा चुकी थी. 1220 एकड़ जमीन को फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिल चुका था.
885 एकड़ जमीन और एप्रोच रोड के लिये 106 एकड़ जमीन देने की प्रक्रिया भी शुरू की गई थी. कोल ब्लॉक के लिये नये प्रपत्र पर आवेदन जमा करने के लिये कहा गया था. इसके अलावा 3500 करोड़ का पुर्नवास पैकेज भी तैयार किया गया था.
क्या है तिलैया अल्ट्रा मेगावाट पावर प्लांट की फैक्ट फाइल
• रिलायंस को तिलैया में 3960 मेगावाट का पावर प्लांट लगाना था.
• वर्ष 2009 में 1.77 रुपये प्रति यूनिट बिजली देने की दर से बोली लगाकर रिलायंस ने यह परियोजना हासिल की थी.
• सितंबर 2013 में सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के पास टैरिफ संशोधन के लिये आवेदन दिया गया था.
• परियोजना में देरी होने से 16 हजार करोड़ रुपये लागत बढ़ गई.
• परियोजना के लिये 2523 एकड़ जमीन और 12108 एकड़ में कोल माइंस की जरूरत थी.
• मुख्य प्लांट के लिये 470 एकड़ जमीन रिलायंस को दी जा चुकी थी.
• 1220 एकड़ जमीन को फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिल चुका था.
• 885 एकड़ जमीन और एप्रोच रोड के लिये 106 एकड़ जमीन देने की प्रक्रिया जल रही थी.
• कोल ब्लॉक के लिये नये नये प्रपत्र पर आवेदन जमा करने के लिये कहा गया था.
• 3500 करोड़ का पुर्नवास पैकेज तैयार किया गया था
क्या है तिलैया अल्ट्रा मेगावाट की स्थिति
जब यह परियोजना रिलायंस को मिली थी तो पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत 18 प्रोक्यूरर( बिजली के खरीदार) ने एग्रीमेंट में हस्ताक्षर किया था.
प्रावधान यह था कि पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन पावर प्लांट के लिये स्पेशल पर्पस व्हीकल (एसपीवी) बनायेगा. साथ ही शुरुआती खर्च पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन ही करेगा.
प्रावधान के मुताबिक पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन ने परियोजना की शुरुआत में राशि लगाई. इसके बाद स्पेशल पर्पस व्हीकल ने रिलायंस को हस्तांतरित कर दिया.
तब पीएफसी द्वारा खर्च की गई राशि रिलायंस को देनी पड़ी.
राज्य सरकार का प्रस्ताव भी जस के तस
रिलायंस के पीछे हटने के बाद राज्य सरकार ने ऊर्जा मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा. पहले विकल्प के रूप में कहा गया कि फिर से रिबिडिंग (पुन: टेंडर) किया जाये.
दूसरे प्रस्ताव के रूप में कहा गया कि प्लग एंड प्ले मोड (वर्तमान प्रक्रिया को बंद कर नई प्रक्रिया के तहत किसी को दिया जाये) में प्रक्रिया शुरू की जाये. पर स्थिति जस की तस है.