रवि,
रांचीः झारखंड में चीफ सेक्रेट्री रैंक के पद की चाहत में दो साढ़ू भाई छह महीने से आगे पीछे होते रहे. कभी एक का पलड़ा भारी होता नजर आता, तो कभी दूसरे का पलड़ा भारी दिखता. दोनों ही बाजी मारने की फिराक में लगे थे.
खास बात यह भी रहा कि दोनों एक ही बैच के अफसर हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं झारखंड कैडर के दो वरीय आईएफएस अफसरों की. 23 दिसंबर 2019 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) संजय कुमार के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद वरीयता की अनदेखी कर पूर्व की सरकार ने शशिनंद कुलियार को पीसीसीएफ हॉफ की जिम्मेवारी सौंपी.
उसके बाद से वन विभाग में पीसीसीएफ हॉफ का पद प्रभार में चला. कुल 190 दिन शशिनंद कुलियार इस पद पर प्रभार में रहे. इस बीच पीसीसीएफ हॉफ के लिए लॉबिंग भी होती रही.
अंत में शशिनंद कुलियार के ही अपने साढ़ू भाई प्रियेश वर्मा को पीपीसीएफ हॉफ बना दिया है. राज्य सरकार ने 24 जून को दोपहर एक बजे इसका आदेश भी जारी कर दिया.
क्यों पिछड़ गए शशिनंद कुलियार-
बोर्ड की बैठक में पीसीसीएफ हॉफ के लिए तीन नाम रखे गए थे. इसमें 1984 बैच के लाल रत्नाकर सिंह के साथ 1986 बैच के शशिनंद कुलियार व प्रियेश वर्मा का नाम था.
जानकारी के अनुसार, इस बैठक में वरीय अफसर लाल रत्नाकर सिंह के नाम की अनुशंसा कर फाइल सीएमओ भेजी गई थी. इसके बाद 16 मार्च को सीएमओ ने कुछ क्वैरी कर फाइल वन विभाग को वापस कर दी.
सीएमओ की क्वैरी का जवाब देने के बदले वन विभाग के अफसरों ने फाइल को 45 दिनों तक दबाए रखा. वजह यह भी थी कि 1984 बैच के अफसर लाल रत्नाकर सिंह को पीसीसीएफ हॉफ के पद पर प्रोन्नति देने से वंचित रखना.
हालांकि लाल रत्नाकर सिंह 30 अप्रैल को रिटायर भी हो गए, लेकिन वन विभाग में अब तक पीसीसीएफ हॉफ के पद पर किसी भी अफसर को प्रोन्नति नहीं दी गई है. अब तक यह पद प्रभार में चल रहा था.