उत्तर प्रदेश के यातायात पुलिसकर्मियों की वर्दी में जल्द कुछ और बदलाव किये जाने की तैयारी है। यातायात निरीक्षक से लेकर सिपाही तक की वर्दी में एकरूपता को लेकर मंथन किया जा रहा है। डीजीपी ओपी सिंह ने एडीजी कमल सक्सेना की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है।यातायात पुलिस के मुख्य आरक्षी व आरक्षी को सफेद शर्ट के साथ नीली पैंट पहनने का आदेश हुआ था। अब उनकी टोपी को भी खाकी से बदलकर नीली किये जाने की तैयारी है।
यातायात पुलिस में निरीक्षक, उपनिरीक्षक व सिपाही की वर्दी में समानता नहीं है। ट्रैफिक पुलिस के मुख्य आरक्षी व आरक्षी नीले पैंट के साथ सफेद शर्ट पहनते हैं। बेल्ट व जूते भूरे पहनते हैं और खाकी टोपी लगाते हैं। यातायात शाखा के उप निरीक्षक खाकी पैंट के साथ सफेद शर्ट पहनते हैं। वे पी कैप लगाते हैं और भूरे जूते व बेल्ट पहनते हैं। यातायात निरीक्षक पूरी खाकी वर्दी पहनते हैं। ट्रैफिक पुलिस के निरीक्षक व उपनिरीक्षक नेम प्लेट सफेद रंग की लगाते हैं।
यातायात पुलिसकर्मियों की वर्दी में एकरूपता लाने के लिए गहनता से विचार किया जा रहा है। नीले पैंट के साथ सफेद बेल्ट व काले जूते की व्यवस्था किये जाने समेत कई अन्य बिंदुओं पर भी विचार किया जा रहा है। कमेटी की सिफारिशें मिलने पर डीजीपी के स्तर पर यातायात पुलिसकर्मियों की वर्दी में बदलाव तय होगा। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों महिला पुलिसकर्मियों की वर्दी में भी बदलाव किया गया था।
बसपा सरकार ने 2007 में सत्ता में आने के बाद यातायात पुलिसकर्मियों की वर्दी में बदलाव करते हुए उनकी पतलून और बैरेट कैप नीली करने के साथ सीटी डोरी और मोजे नीले कर दिए थे। उस समय विपक्ष में रही सपा ने मायावती सरकार पर यातायात पुलिस का बसपाकरण करने का आरोप लगाया था। फिर सपा सरकार आई तो उसने पुलिस की नीली पैंट को खाकी कर दिया। तर्क दिया गया कि यातायात पुलिसकर्मियों द्वारा पहनी की जाने वाली वर्दी निजी सुरक्षागार्डों से मिलती-जुलती होने के कारण भ्रम पैदा करती है। यातायात पुलिस उत्तर प्रदेश का अभिन्न अंग है ऐसे में वृहद तौर पर यातायात पुलिस की वर्दी और यूपी पुलिस से पूर्णतया भिन्न होना उचित नहीं है। दोनों शाखाओं में अधिक से अधिक समानता होनी चाहिए। जब भाजपा सत्ता में आई तो यातायात पुलिस की खाकी पैंट को फिर नीला कर दिया गया।