नई दिल्ली: बच्चे भला किसे पसंद नहीं है उनकी मासूम मुस्कान सभी का दिल जीत लेते है. उसके बाउजूद भी हम बड़ों की दुनियां बच्चों के लिए इतनी बेरहम कैसे हो सकती है. एक आंकडे़ के मुताबिक देश में हर रोज बच्चों के खिलाफ 350 अपराध की घटना को अंजाम दिया जाता है. ये आंकडे़ 2017 के हैं, जिसे हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने जारी किए है.
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू (सीआरवाई यानी क्राई) ने कहा हे कि बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में शीर्ष पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्य हैं.
क्राई के मुताबिक NCRB ने जो आंकड़े दिए हैं, उनसे पता चलता है कि 2016-17 के दौरान बच्चों के खिलाफ अपराधों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, वहीं इसी दौरान पूरे देश में कुल अपराधों में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में यूपी और एमपी सबसे आगे हैं. 2016-17 के दौरान दोनों राज्यों में संयुक्त रूप से ऐसे अपराध 14.8 फीसदी या 19 हजार से ज्यादा दर्ज किए गए हैं.
झारखंड में जहां 73.9 फीसदी के साथ सबसे ज्यादा बढ़ोतरी (73.9 फीसदी) देखी गई तो वहीं, मणिपुर में इस मामले में 18.7 फीसदी के साथ बड़ी गिरावट आई है.
क्राई के मुताबिक, 2016 में प्रति लाख पर बच्चों के खिलाफ संज्ञेय अपराध के 24 मामले दर्ज हुए, वहीं 2017 में यह संख्या प्रति लाख पर 28.9 तक जा पहुंची है. वहीं, नाबालिग लड़कियों के प्रति ऐसे अपराधों में 2016 के मुकाबले 37 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई.
बच्चों के खिलाफ अपराध एक दशक में 1.8 से 28.9 फीसदी बढे़
अगर दशक की बात करें तो बच्चों के खिलाफ NCRB के आंकड़ों के मुताबिक अपराध बेहद तेजी से बढ़ा है. यह 2007 से 2017 के दौरान 1.8 से बढ़कर 28.9 फीसदी तक जा पहुंचा है. यह बेहद भयावह स्थिति है.
बेतहाशा बढ़ रहा अपराध
आपको बता दें की NCRB के आंकड़े हर दो साल के अंतराल में प्रकाशित किए जाते हैं. इसमें यह खुलासा हुआ है कि बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में 2016 में 1,06,958 अपराध दर्ज किए गए तो वहीं, 2017 में 1,29,032 अपराध के मामले दर्ज हुए. क्राई के मुताबिक, बच्चों के खिलाफ अप्रत्याशित रूप से अपराध बढ़ रहे हैं. यह खतरे की घंटी है. जो हमें चेतावनी दे रही है की हमें सावधान होने की जरुरत है .
अब भी बड़ी चुनौती है बाल विवाह
क्राई ने NCRB के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि बाल विवाह देश में अब भी सबसे बड़ी चुनौती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में करीब 1.2 करोड़ शादीशुदा बच्चे हैं. इनमें से करीब 75 फीसदी लड़कियां हैं.
2017 के NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, बाल विवाह प्रतिबंध कानून, 2006 के तहत 395 मामले दर्ज किए गए. इन अपराधों को दर्ज किए जाने में 21.17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. वहीं, 2017 में ही किशोरों के खिलाफ अपराधों के 2,452 मामले दर्ज किए गए.
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