Jamshedpur:- भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में जो पार्टियां शामिल थीं या फिर जिन्होंने समर्थन दिया था, उनमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, डीएमके, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, लेफ्ट और टीएमसी समेत कई राजनीतिक दल थे. उस दौरान इन सभी पार्टियों के लोगों ने इस किसान बिल को लेकर अपना समर्थन दिया था, परंतु आज ये सभी पार्टियां कांग्रेस के साथ मिलकर इसका विरोध कर रही हैं. किसानों का अहित करने में ये सभी पार्टियां बराबर की दोषी हैं .
उन्होंने कहा आज इन पार्टियों के नेता जनता में अपना विश्वास खो चुके हैं. ये निर्दोष किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं. किसानों के हितों की बलि चढ़ा रहे हैं. पिछले कई सालों से हम सबने देखा है कि देश में कहीं पर भी कोई भी आंदोलन हो, अपना अस्तित्व बचाने के लिए ये लोग उसमें कूद पड़ते हैं और अराजकता फैलाने का प्रयास करते हैं. अपना वजूद बचाने के लिए अपनी विचारधारा और अपने सिद्धांतों को छोड़कर तात्कालिक राजनीतिक लाभ के लिए मैदान में उतर आते हैं. श्री प्रकाश ने कहा किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं ने प्रारंभ से ये कहा कि इसमें पॉलिटिकल पार्टियों को एंट्री नहीं देंगे. परंतु आज जो हो रहा है, उससे किसान हितों को समर्पित और जीवनभर किसानों की सेवा करने वाले लोगों को भी गहरा धक्का लगा है.
जिस कृषि सुधार कानून का आज तमाम राजनीतिक पार्टियां पुरजोर विरोध कर रही हैं, विरोध में भारत बंद तक का आह्वान कर चुकी हैं, उसे लेकर इन राजनीतिक दलों के सुर पहले एकदम अलग थे. इन पार्टियों के दोहरे चरित्र को उजागर करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जो कांग्रेस पार्टी आज इस बिल का सबसे मुखर विरोध कर रही है और किसानों को भ्रमित कर रही है, उसी कांग्रेस पार्टी ने इस बिल को 2019 के अपने घोषणापत्र में शामिल किया था. उनके घोषणापत्र में साफ-साफ लिखा था, “कांग्रेस .हतपबनसजनतंस च्तवकनबम डंतामज ब्वउउपजजममे .बज को निरस्त कर देगी और कृषि उत्पादों के व्यापार की व्यवस्था करेगी३ जिसमें निर्यात और अंतर-राज्य व्यापार भी शामिल होगा, जो सभी प्रतिबंधों से मुक्त होगा.” उनका यह घोषणापत्र अब भी उनकी वेबसाइट पर देख सकते हैं. ये बातें उनके मेनिफेस्टो में पेज नंबर 17 के प्वॉइंट नंबर 11 में दर्ज है.