पलामू: पलामू के चैनपुर थाना क्षेत्र के कोल्हुआ निवासी नौसैनिक सूरज दुबे की इसी साल मई में शादी होने वाली थी. 15 जनवरी को सगाई हुई और इसके बाद वो ड्यूटी ज्वॉइन करने के लिए कोयम्बटूर जाने के लिए घर से निकला था. पिता और एक परिजन घटना की सूचना के बाद मुंबई रवाना हो गए हैं.
नौसैनिक सूरज दुबे को महाराष्ट्र के पालघर में जिंदा जला दिया गया. गंभीर रूप से झुलसे सूरज की शनिवार को मुंबई में मौत हो गई. जांच में पता चला कि उनका चेन्नई से अपहरण कर लिया गया था. उन्हें छोड़ने की एवज में 10 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई थी. परिजनों के मुताबिक सूरज छुट्टी पर घर आए थे. 30 जनवरी को वापस ड्यूटी पर कोयम्बटूर जाने के लिए घर से निकले थे.
सूरज की गढ़वा के अटोला में शादी तय की गई थी
मृतक के बड़े भाई नीरज कुमार दूबे ने बताया कि सूरज दुबे ने ज्ञान निकेतन से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. सूरज के पिता मिथिलेश दूबे पेशे से किसान हैं. तीन भाई-बहनों में सूरज सबसे छोटा था. अगस्त, 2012 में नेवी ज्वॉइन किया था. उनकी ट्रेनिंग ओडिशा के चिल्का में हुई. पहली पोस्टिंग मुंबई में हुई. इसके बाद वो कोच्ची में तैनात रहे. फिर कोयम्बटूर में पोस्टिंग पर थे.
सूरज की गढ़वा के अटोला में शादी तय की गई थी. सूरज के साथी पंडित राज दुबे ने बताया कि वो काफी तेज तर्रार लड़का था. गलत संगत से दूर ही रहता था. इधर, सूरज की हत्या के बाद गांव में आक्रोश है और रविवार शाम को न्याय की मांग पर कैंडल मार्च निकाला जाएगा. ग्रामीणों ने CBI जांच की मांग की है.
31 जनवरी से दोनों फोन बंद मिले
नीरज कुमार दूबे ने बताया कि सूरज 2 जनवरी को छुट्टी पर घर आए थे. 30 जनवरी को पुन: ड्यूटी पर जाने के लिए बस से रांची गए. रांची से शाम 4.15 बजे हैदराबाद की फ्लाइट से रवाना हो गए. हैदराबाद पहुंचने के बाद सूरज की अपनी मां से भी बात हुई थी. उसने बताया था कि कुछ देर में यहां से चेन्नई के लिए फ्लाइट है. रात में फिर उन्होंने कॉल नहीं किया.
अगले दिन 31 जनवरी को फोन किया गया तो सूरज के दोनों मोबाइल नंबर बंद मिले. इसके बाद उनके कोयम्बटूर यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर को सूरज के बारे में जानकारी दी गई. सूरज की रिपोर्टिंग का समय 1 फरवरी सुबह 8 बजे था. रिपोर्टिंग नहीं करने के बाद परिजनों ने चैनपुर थाना में सूरज की गुमशुदगी की जानकारी दी.
पिता के मोबाइल पर धर्मेंद्र का फोन आया था
नीरज कुमार ने बताया कि जब सूरज घर से कोयम्बटूर जाने के लिए निकले थे तो पिता के मोबाइल नंबर पर कॉल आया. कॉल करने वाले ने अपना नाम धर्मेंद्र बताया और खुद को कोयम्बटूर के INS अग्रणी में कार्यरत होने की जानकारी देकर पूछा था कि सूरज घर से निकला है या नहीं.
पिता ने जब धर्मेंद्र से पूछा कि आपके पास मेरा नंबर कहां से मिला तो उसने कहा-यहां सबका नंबर रहता है. वहीं, नीरज ने बताया कि पलामू पुलिस द्वारा सूरज के दोनों नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई गई तो पता चला कि 21 जनवरी से 30 जनवरी तक सूरज की सबसे ज्यादा बात और मैसेज धर्मेंद्र से ही हुई है.
30 जनवरी को हुआ था अपहरण
वहीं, महाराष्ट्र के पालघर के एसपी दत्तात्रय शिंदे ने बताया कि सूरज का 30 जनवरी को रात नौ बजे चेन्नई एयरपोर्ट से बाहर आते ही तीन लोगों ने अपहरण कर लिया. तीन दिन तक उन्हें चेन्नई में रखा. फिर 1400 किमी दूर पालघर ले गए. वहां से फिरौती मांगी गई. शुक्रवार को अपहर्ता उन्हें पालघर के जंगल में ले गए. हाथ-पैर बांध दिया और पेट्रोल डालकर आग लगा दी. तभी एक व्यक्ति ने पुलिस को सूचना दे दी. मुंबई के अस्पताल में सूरज ने पुलिस को अपहरण की बात बताई.