देहरादून: उत्तराखंड में दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने की तैयारी है। राज्य सरकार ने इसके लिए पंचायतीराज (संशोधन) अधिनियम 2019 को सदन पटल पर रखा है। यह बुधवार को पारित किया जाएगा। इस तरह आगामी चुनाव में यह बदलाव लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। उत्तराखंड में विधानसभा में पंचायती एक्ट संशोधन विधेयक पेश होना है। पंचायत चुनाव से पहले जल्द ही कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक विधेयक में कहा गया है कि दो बच्चों से अधिक वाले ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं वहीं चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी की शैक्षणिक योग्यता भी निर्धारित हो सकती है।
सरकार के इस फैसले से श्रीनगर में स्थानीय समेत ग्रामीण लोगों ने खुले दिल से स्वगत किया है ।उनका कहना है कि इससे एक शिक्षित व्यक्ति के हाथों में प्रतिनिधत्व की कमान आयेगी, जिससे गांव का बेहतर विकास हो पायेगा। वहीं कई लोग इसके विरोध में भी हैं।
Also Read This:- बिहार : बिजली के तार की चपेट में आई बस, 3 यात्रियों की मौत
संसदीय कार्यमंत्री की भूमिका निभाते हुए मदन कौशिक ने यह प्रस्ताव सदन में पेश किया। अब तक उत्तराखंड में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए शैक्षिक योग्यता या परिवार से जुड़ी कोई शर्त नहीं थी, लेकिन इस संशोधन के बाद पंचायत में किसी भी पद पर चुनाव लड़ने के लिए अब न्यूनतम शैक्षिक योग्यता दसवीं पास होगी। हालांकि, महिला, एससी-एसटी वर्ग को इससे छूट दी गई है।
सामान्य श्रेणी की महिला के साथ अनुसूचित जाति-जनजाति श्रेणी के पुरुषों की न्यूनतम योग्यता आठवीं पास रखी गई है। जबकि अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं की न्यूनतम योग्यता पांचवीं पास रखी गई है।
यहां आपको बता दें कि नगर निकाय के मामले में सरकार ने ऐक्ट के लागू होने के 300 दिन बाद यह शर्त लागू की थी, मगर पंचायतीराज के मामले में यह छूट नहीं दी गई है। इस तरह आगामी पंचायत चुनाव में यह शर्त भी लागू होगी।
पंचायतीराज मंत्री ने पिछले साल यह बदलाव करने की घोषणा की थी। इसके बाद पंचायतीराज ने राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल जैसे राज्यों के पंचायतीराज ऐक्ट का अध्ययन किया। इसके बाद उत्तराखंड में भी इसी तर्ज पर बदलाव किए गए।