ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा,
सूर्य और छाया के पुत्र शनि देव का प्राकट्य ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष अमावस्या को हआ था शनि देव वायु तत्व प्रधान है इनकी चाल सभी ग्रहों में सबसे धीमी है श्याम वर्ण बड़ी आंखें बड़े केश इनकी प्रमुख पहचान है
ये गरीबों के मसीहा साधना प्रिय एकांत प्रिय पश्चिम दिशा के स्वामी है
आकाशीय ग्रह परिषद में इन्हे अनेक प्रमुख विभाग मिले हुए जैसे ये मृत्यु , भाग्य , कर्म, , सुख दुख, घोर गरीबी, घोर संकट , घोर बीमारी आदि के कारक है इसके अलावा ग्रह परिषद में जज अर्थात न्याय के अधिकारी भी है सभी प्रकार के कर्मो का अच्छा बुरा जैसा भी फल यही प्रदान करते हैं इनको सत्य धर्म नयाय के साथ कर्मो का फल देना अति रुचिकर लगता है प्राणी जो भी पाप पुण्य अपराध अत्याचार अनीति अधर्म आदि कर्म करता है इन सबका फल शनिदेव देते ही है इनकी दृष्टि में यदि कोई अपराधी पापी दोषी है तो ये उसको अति कठोर दण्ड बिना रहम दया के देते ही है ऐसे में किसी को भी राजा से रंक , निरोगी से रोगी ,किसी जो विकलांग , विधुर , विधवा और अनाथ बनाके , असफलता देकर महान कष्ट देते हैं सोना छुओ तो मिट्टी हो जाती है
शनिदेव ऐसा करते इसलिए है जिससे व्यक्ति सुधर जाए न्याय नीति , सत्य ,धर्म के रास्ते पर आ जाय ये व्यक्ति को सोने की तरह संघर्ष रूपी अग्नि में तपाते है कुंदन बनाते हैं कठोर बनाते हैं
शनि यदि कुंडली में शुभ , बलवान अवस्था में है तो रंक से राजा , निर्धन से अमीर ,रोगी से निरोगी , सामान्य से असामान्य बना देते हैं मिट्टी छुओ तो सोना हो जाती हैं
शनि जब ढैया , साढ़े साती में या अपनी राशि में होते है तो बड़ी उथल पुथल करते हैं शनि अभी अपनी राशि में ही चल रहे हैं
हमें पूजा कैसे करनी चाहिए
प्रातः काल से शुभ मुहूर्त है अनुसार शुद्ध पवित्र होकर काले आसन पर बैठे ,सम्भव हो तो काले वस्त्र ध्रारण करे , हाथ में जल फूल रोली चावल लेकर व्रत पूजा साधना अनुष्ठान का संकल्प ले.
गुरुदेव इस्ट देव सूर्यदेव संग सभी ग्रहों का सूक्ष्म पूजन करे फिर शनिदेव का विधिवत पूजन करें.
शनि चालीसा , शनि स्रोत ,शनि मंत्र सुंदर कांड आदि का पाठ करे हनुमान जी को चोला अर्पित करे.
हवन शमी की लकड़ी से करे तो उत्तम रहेगा.
सरसो तेल उर्द काले तिल काले जूता चप्पल काले वस्त्र तथा गुड़ और दक्षिणा दान देनी चाहिए.
शनिदेव को शनि पत्र अर्पित करे ये बहुत कल्याण कारी है.
शनि देव के गुरु शिवजी है सो शिव पूजा गुणगान करे.
विशेषकर शनि पूजन करते समय प्रतिमा की आंखों में नजर ना मिलाएं.
वट सावित्री पूजन
इसी दिन महिलाएं वट सावित्री व्रत करती है वट ( बरगद ) की पूजा करती हैं बरगद ब्रक्ष में ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों प्रमुख देवताओं का निवास माना गया है .पौराणिक धर्म ग्रंथो अनुसार इसी दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण बापस लिए थे और इनको अल्पायु से दीर्घायु वनाया था.
इस दिन व्रत पूजा से पति की लंबी आयु होती हैं घर में खुशहाली आती हैं पति पत्नी में आपस में प्रेम वृद्धि होती है संतान सुंदर सुशील गुणवान धनवान स्वस्थ होती है.
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा:- 90588100 22 ,989715 85 98