नई दिल्ली: भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के खिलाफ उसके कुछ वेंडर दिवालिया याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं. इस मामले में उद्योग संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल पर इनके वेंडर्स का करीब 20,000 करोड़ रुपये बकाया है. सभी वेंडर ने 19 नवंबर को इसके खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला लिया है.
इस संदर्भ में पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स के टेलीकॉम कमेटी के अध्यक्ष संदीप अग्रवाल ने कहा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल पर टेलीकॉम उपकरणों और अन्य वस्तुओं के मद में इन वेंडर्स का बकाया है. इतना ही नहीं, कंपनियों ने ग्रामीण ब्रॉडबैंड प्रोजेक्ट भारतनेट के लिए सप्लाई किए गए 45,000 करोड़ रुपये कीमत के टेलीकॉम उपकरण और अन्य संबंधित वस्तुओं का भुगतान भी नहीं किया है.
बता दें कि वित्त वर्ष 2017-18 में बीएसएनएल को 31,287 करोड़ का नुकसान हुआ था. कंपनी में फिलहाल 1.76 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं. वीआरएस देने से कर्मचारियों की संख्या अगले 5 सालों में 75 हजार रह जाएगी.
वहीं हाल ही में बीएसएनएल और एमटीएनएल को भारी-भरकम बेलआउट पैकेज देने के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दोनों कंपनियों से वीआरएस और मुद्रीकरण योजना में तेजी लाने को कहा था. साथ ही उन्होंने दूरसंचार क्षेत्र में अधिक आक्रामक तरीके से काम करने का भी निर्देश दिया था.
इतना बकाया है पैसा-
- पैरामाउंट वायर्स एंड केबल्स – 168 करोड़ रुपये
- स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज – 500 करोड़ रुपये
- तेजस नेटवर्क – 314 करोड़ रुपये
- वीएलएल – 150 करोड़ रुपये
- एचएफसीएल – 219 करोड़ रुपये
मामले में पैरामाउंट ने रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर बकाया भुगतान करने का अनुरोध किया था. पत्र में कंपनी ने बताया था कि बैंक उस पर कर्ज लौटाने का दबाव बना रही है.