रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने चतरा में छठ घाट पर फायरिंग को दुःखद बताते हुए कहा कि आस्था, नेम-निष्ठा के इस महापर्व पर हिंसक घटना भारतीय समाज कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि ऐसे घृणित मुद्दों पर भाजपा को राजनीति करने के बजाय, समस्या के समाधान की दिशा में सरकार और प्रशासन को सहयोग करना चाहिए.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा के पांच वर्षां के शासनकाल में राज्य में 787 नक्सली वारदात हुई, जबकि यूपीए सरकार के गठन के बाद वर्ष 2020 तक कोई नक्सली घटनाएं हुई, जो यह बताता है कि पुलिस सख्ती से नक्सलियों से निपटने में सफल रही है.
उन्होंने बताया कि सिर्फ वर्ष 2019 को ही ले लिया जाए, तो 28मई 2019 को सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई में नक्सलियों ने लैंडमाइंस विस्फोट किया था, जिसमें झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के 26 जवान घायल हो गये थे. 15 जून 2019 को नक्सली हमले में 5 पुलिसकर्मी मारे गये थे.
इसके बाद विधानसभा चुनाव के दौरान पहले चरण के चुनाव में तीन जवान शहीद हो गये. उन्होंने बताया कि रघुवर दास के शासनकाल में वर्ष 2015 में 196, वर्ष 2016 में 196, वर्ष 2017 में 186 , वर्ष 2018 में 118 और वर्ष 2019 में 91 नक्सली घटनाएं हुई, जबकि साल 2020 के अक्टूबर महीने तक एक भी नक्सली वारदात की घटना नहीं होना इस बात का संकेत देता है कि इन इलाकों में पुलिस को पकड़ से पहले से मजबूत हो चुकी है. यह बताता है कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन कमजोर पड़ गये है और नक्सली वारदातों में कमी आयी है.
आलोक कुमार दूबे ने बताया कि पिछले 20 साल में पहली बार कोई ऐसा डीजीपी राज्य को मिला है, जो जिलों का दौरा करता है और नक्सली तथा आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने का काम करता है, जबकि पिछले डीजीपी को लोगों ने जयश्री राम और भाजपा नेता का जिन्दाबाद का नारा लगाते भी देखा है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में नक्सली घटनाओं में इतनी अधिक वृद्धि हो गयी थी कि ऐसी घटनाओं पर फिल्म भी बन रही थी, जिसमें मृत जवानों के शरीर में भी आईईडी बम भी फिट कर दिया जाता है.