संजना,
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मार्च 2021 में होता कार्यकाल समाप्त, पर आरोपों को देकते हुए किया किनारा
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अरविंद प्रसाद की नियुक्ति में भी उठ रहे थे सवाल
रांचीः वर्तमान सरकार का भ्रष्टाचार पर वार जारी है. आरोपों में घिरता देख अब झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने अपना इस्तीफा सरकार को सौंप दिया है.
जुलाई 2017 में अरविंद प्रसाद नियामक आयोग के अध्यक्ष बने थे. वे बिहार कैडर के आईएएस अफसर हैं. हालांकि उन्होंने वीआरएस लिया था. इसके बाद वे नीति आयोग में योगदान दिया. फिर फिक्की में भी डीजी के पद पर रहे.
रघुवर सरकार में इन्हें नियामक आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. इनका कार्यकाल मार्च 2021 तक था. अरविंद प्रसाद झारखंड कैडर के एक आईएएस के करीबी रिश्तेदार भी हैं.
नियुक्ति पर ही उठ रहे सवाल
डॉ अरविंद प्रसाद की नियुक्ति पर ही सवाल खड़े हो गए हैं. आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति तीन सदस्यीय कमेटी करती है, लेकिन पूर्व की सरकार के समय दो सदस्यीय कमेटी ही इनका चयन किया था. कमेटी में सीइए के चेयरमैन भी मेंबर होते हैं, लेकिन उन्हें भी कमेटी में शामिल नहीं किया गया.
विवादों में आए
नियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद 2018 में बिजली बिल निर्धारण के वक्त विवादों में भी आए. उस वक्त बिजली वितरम निगम ने छह रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली दर निर्धारण का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अरविंद प्रसाद ने से बढ़ाकर 6.25 रुपए प्रति यूनिट कर दिया था. जिसके कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. वर्तमान सरकार ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया है.