नीता शेखर,
कहते हैं कि लड़कों का रूप रंग नहीं देखा जाता. उनका गुण और स्वभाव देखा जाता है पर आज की दुनिया में ऐसी मां भी है जो आज भी लड़कों का रूप रंग देखती है.
ऐसी ही है एक हमारी चाची जी जिन्हें हमेशा लगता था कि मैं अपनी बेटी की शादी सुंदर लड़के से करूंगी. उन्होंने बड़ी ही लाड प्यार से अपनी बेटी को पाला था. लवली थी भी बहुत सुंदर. उसके बाल भी काफी लंबे और घने थे, चाची जी खुद उसकी देखभाल करती थी. लवली एमसीए करने जयपुर चली गई उसके बाद उसकी नौकरी भी गुडगांव में ही लग गई. चुंकि चाची जी के दोनों बेटे भी गुड़गांव में नौकरी करते थे. सभी से विचार-विमर्श करके चाची जी पूरे परिवार के साथ गुड़गांव ही शिफ्ट हो गए. हम सब कभी-कभी छुट्टियों में गुड़गांव जाया करते थे.
अक्सर चाची जी अपनी जिद के आगे झुकती नहीं थी, चाहे उसके लिए रिश्ता ही क्यों ना छोड़ना पड़े. उसको पूरा करके ही रिश्ता तोड़ना ही क्यों ना पड़े.
एक दिन सभी के पास खबर आई गुड़गांव आने के लिए. हम सभी का सम्मिलित परिवार है. चाचा जी का हुकुम कोई टाल नहीं सकता था, फिर सब भाई भाभी गुडगांव पहुंच गए. वहां का माहौल बड़ा अजीब सा लग रहा था. हम सब को तनाव भी हो रहा था कि चाचा जी ने क्यों बुलाया है.
शाम को बैठक में सभी लोग जमा हुए तब चाचा जी ने बताना शुरू किया लवली ने एक बंगाली लड़के को पसंद कर लिया था जो उसके ऑफिस में ही काम करता था. देखने में बहुत ही साधारण था पर स्वभाव का बहुत ही अच्छा था, लेकिन चाची जी किसी भी हालत में तैयार नहीं हो रही थी.
क्योंकि उनका जो सपना था वह अधूरा रह गया था, लवली ने भी ठान लिया था. शादी करेगी तो उसी से, चाची जी इतनी जिद्दी थी कि किसी भी हालात में तैयार नहीं हो रही थी. एक ओर लवली थी कि वह किसी भी हालात में तैयार नहीं थी.
उन्होंने लवली को कह दिया था चाहे तो तुम अपनी मां को चुन लो चाहे सोमन को. उन्होंने फरमान जारी कर दिया था जैसे कि उनकी बेटी नहीं कोई और है. शायद इसलिए चाचा जी ने लवली के सभी भाइयों को बुला लिया था ताकि कुछ फैसला हो सके.
जब हम सब को पता चला तो सब ने मिलकर समझाने की बहुत कोशिश की पर ना चाची जी तैयार हो रही थी ना लवली. काफी मशक्कत के बाद हम सब ने लवली को कहा कि अपने पसंद के लड़के से शादी कर ले. हमें लगा था कि कुछ दिन बाद खुद ही मान जाएगी, हम सब ने मिलकर लवली की शादी कर दी. शादी में भी जो भी आए थे उन सब से बात करना बंद कर दिया था. शादी के एक दिन पहले ही वह हरिद्वार चली गई. लवली का रो रो कर बुरा हाल था, पर वह शादी के दिन भी नहीं लौटी चाचा जी ने अकेले ही कन्यादान कर दिया. लवली के विदा होते ही वापस घर आ गई फिर हम सब भी अपने अपने घर वापस आ गए.
धीरे-धीरे वक्त गुजर रहा था. चाची जी ने जो गांठ बांध लिया था, किसी भी हालत में खोलने की कोशिश नहीं करती और कहती थी तुम लोगों ने मुझे मनाने की कोशिश की तो मैं घर छोड़ कर चली जाऊंगी. फिर हम सब ने भी छोड़ दिया, लेकिन उन्होंने लवली को माफ नहीं किया.
अब हालात यह हो गये थे कि छोटे बेटे की शादी में भी लवली को नहीं बुलाया. लवली ने कोशिश की थी. रोना भी हुआ लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हुई. इसी बीच लवली एक बेटे की मां भी बन गई पर उन्होंने लवली के बेटे को नहीं देखा. अब छोटे बेटे ने भी अपना गिरस्थी अलग कर ली थी. अगर कभी लवली बेंगलुरु आती तो जिसके घर वह ठहरती, चाची जी बड़े भाई के घर चली जाती है. अगर छोटे के यहां ठहरती तो बड़े के पास चली जाती और बड़े के पास ठहरती तो छोटे के पास चली जाती. वह अपनी हार नहीं मानी. इतनी समय में कभी नहीं देखा था. लवली भी थक गई थी उनको मनाते मनाते. हां कभी कभी दुख लगता है तो रो लिया करती थी. सोमन इतना अच्छा लड़का था वह कभी किसी बात का बुरा मानता ही नहीं था.
देखते देखते उसने इतनी तरक्की कर ली. करोड़ों का मकान खरीद लिया. जिंदगी में जो भी समान होता है उसने भर दिया था. चाची जी दिया लेकर भी ढूंढती तो .उसके जैसा लड़का नहीं मिलता. जिंदगी यूं .ही गुजर रही थ . चाचा जी की मौत हो गई. हम सब बेंगलुरू पहुंचे. लवली भी सोमन के साथ बेंगलुरु पहुंची. चाची जी ने उनको अंदर आने नहीं दिया. लवली ने बाहर से ही अपने पापा का दर्शन किया और अपनी भगिनी के घर पर ठहर गई. एक बार सब इकट्ठा हुए फिर सब ने मिलकर उनको समझाने की कोशिश की पर वह तैयार नहीं हुई, उन्होंने कहा तुम अगर ऐसे हमको बोलते रहोगे तो मैं घर छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चली जाऊंगी.
जिस बेटी को मैंने हमेशा कलेजे से लगाकर रखा. औकात नहीं होते भी मैंने उसकी हर फरमाइश पूरी की. उसी ने मेरा दिल दुखाया अब इस जन्म में तो मैं उसको माफ नहीं करूंगी.
आज तक उन्होंने अपने नाती को भी नहीं देखा है. आज लवली की शादी को लगभग 12 साल गुजर गए लेकिन आज तक उनको कोई मना नहीं पाया. लवली भी अब थक गई है. उसने सोच लिया है मां कभी मेरे बच्चे और पति को नहीं देखेगी. जब एक बच्चे के आने से उनका मन नहीं पिघला तो क्या.
लवली का मायका है सब उसके साथ हैं. पर नहीं है तो चाची जी. उसकी मां जितनी कठोर औरत हमने जीवन में नहीं देखी. ऐसी भी मां होती है…………