रांची: केंद्र सरकार बुनकरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और हथकरघा प्रौद्योगिकी के उन्नयन के लिए सतत प्रयास कर रही है, जिसका फल अब मिलने लगा है. गोड्डा के कई बुनकर केंद्र प्रायोजित योजनाओं का लाभ उठाकर स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बन चुकें हैं.
सभ्यता का विकास हमारी जीवनशैली से प्रदर्शित होता है. प्राचीन काल में कपड़ों का विकास बड़ी खोज रही होगी और तब हथकरघा उद्योग अपना खास मुकाम रखता होगा.
समय के साथ हथकरघा उद्योग, प्रौद्योगिकी उन्नयन के साथ बदलता रहा है. मौजूदा समय में केंद्र सरकार से मदद पाकर कई बुनकर सफलता की नयी मंजिल हासिल करते हुई आर्थिक रूप से सशक्त बन रहे हैं.
गोड्डा के बुनकर सखी चन्द्र राम पूर्व में एक पिट लूम में काम किया करते थे, जिसमें कई दुश्वारियां थी. उन्हें केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय हथकरघा संवर्धन सहायता योजना का सहारा मिला जिससे आज उनकी जिंदगी बदल गयी है.
गोड्डा के मास्टर बुनकर देवकांत कुमार भी बुनकरों की सहायतार्थ विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तारीफ करते नहीं थकते. गुजरे समय को याद करते हुए वे बताते हैं कि पहले उन्हें आर्थिक तंगी के कारण काम के लिए जरूरी सामग्रियों की खरीदारी की टेंशन लगी रहती थी, लेकिन बुनकर मुद्रा योजना से जुड़कर अब उनकी सभी दिक्कतें दूर हो चुकीं हैं तथा वे अब तरह तरह के उत्पाद भी तैयार कर पा रहे हैं.
केंद्र सरकार के पहल और प्रयासों से न केवल बुनकरों की आर्थिक तंगी दूर हुई है, बल्कि उन्हें प्रशिक्षित कर बेहतर हथकरघा प्रौद्योगिकी से भी रूबरू करा रही है, ताकि कम मेहनत में उन्हें ज्यादा से ज़्यादा लाभ मिल सके. गोड्डा जिला के विजय कुमार भी तकनीक उन्नयन कार्यक्रम से जुड़कर सफलता की नयी इबरत लिखने में कामयाब हुए हैं.
आज, सात अगस्त को देशभर में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है. सात अगस्त का दिन वैसे भी भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है. यह वो खास दिन है जब स्वतंत्रता संग्राम के दौरान साल 1905 में तत्कालीन कलकत्ता में स्वदेशी आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत हुई थी. उस अहम पड़ाव को यादगार बनाने के लिए ही वर्ष 2015 से राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है.